संभव होता उम्मीदों का आसमान छू जाना
अवल धरां है ऊजळी, सती सूरा री खांण।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
जिन्दगी के सवालों का जवाब
यह चाय नहीं है सिर्फ़, यह चाह भी है…
Everyone enjoys being acknowledged and appreciated. Sometime
" स्वर्ग में पत्रकारों की सभा "
جو سچ سب کو بتانا چاہتا ہوں
शब्द ढ़ाई अक्षर के होते हैं
लड़कियां बड़ी मासूम होती है,
*रामपुर के धार्मिक स्थान और मेले*