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25 Apr 2024 · 1 min read

मेरी संवेदनाएं

कुछ जीवन का कोलाहल है,
कुछ उलझे ताने – बाने हैं।
कुछ पीड़ा की गहराई है,
कुछ पतझड़ की अमराई है।
कुछ सपनों के रेले हैं,
कुछ हम भी पूरे – कुछ अकेले हैं।
कुछ सूखा-सूखा सा मन है,
कुछ खाली – खाली भी सावन है।
कुछ मुरझाई सी यादें हैं,
कुछ भूली सी बातें हैं।
कुछ एहसासों की आंधी है,
कुछ डोर प्रीत की बांधी है।
कुछ अनकहा समर्पण है,
कुछ जीवन का शेष अर्पण है।
कुछ बेबसी की लकीरें हैं,
कुछ रिश्तों की जंजीरे हैं।
कुछ रेत सा फिसलता जाता है,
कुछ समय गुज़रता जाता है।
कुछ हम भी आस लगाए हैं,
कुछ अपनी ही हंसी उड़ाए हैं।।

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