Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jan 2025 · 1 min read

جو سچ سب کو بتانا چاہتا ہوں

جو سچ سب کو بتانا چاہتا ہوں
وہی خود سے چھپانا چاہتا ہوں

ترےغم کی امانت ہیں جوآنسو
انہیں موتی بنانا چاہتا ہوں

محبّت ہی محبّت ہر طرف ہو
میں وہ دنیا بنانا چاہتا ہوں

تمہارے حسن کے قصّے سنا کر
میں پریوں کو چڑھانا چاہتا ہوں

رقیبوں سے اگر مل جائے فرصت
میں تم کو یاد آنا چاہتا ہوں

اضافہ ہو رہا ہے دشمنوں میں
اب اپنا قد گھٹانا چاہتا ہوں

روایت نے بچا رکّھی ہے تہذیب
میں جدّت بھول جانا چاہتا ہوں

جو نفرت کے پجاری ہیں انہیں میں
محبّت سے ہرانا چاہتا ہوں

Language: Urdu
Tag: غزل
11 Views

You may also like these posts

शहर में छाले पड़ जाते है जिन्दगी के पाँव में,
शहर में छाले पड़ जाते है जिन्दगी के पाँव में,
Ranjeet kumar patre
आप जब खुद को
आप जब खुद को
Dr fauzia Naseem shad
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
"PERSONAL VISION”
DrLakshman Jha Parimal
#बस एक शब्द
#बस एक शब्द
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*How to handle Life*
*How to handle Life*
Poonam Matia
मोहब्बत में इतना सताया है तूने।
मोहब्बत में इतना सताया है तूने।
Phool gufran
01/05/2024
01/05/2024
Satyaveer vaishnav
..
..
*प्रणय*
"वो आवाज़ तुम्हारी थी"
Lohit Tamta
भीरू नही,वीर हूं।
भीरू नही,वीर हूं।
Sunny kumar kabira
कभी कभी लगता है की मैं भी मेरे साथ नही हू।हमेशा दिल और दिमाग
कभी कभी लगता है की मैं भी मेरे साथ नही हू।हमेशा दिल और दिमाग
Ashwini sharma
तू ही बता ,तू कैसा
तू ही बता ,तू कैसा
Abasaheb Sarjerao Mhaske
कविता 10 🌸माँ की छवि 🌸
कविता 10 🌸माँ की छवि 🌸
Mahima shukla
स्वतंत्रता की नारी
स्वतंत्रता की नारी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
* मुस्कुरा देना *
* मुस्कुरा देना *
surenderpal vaidya
दिल की बात दिल से
दिल की बात दिल से
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
उठो भवानी
उठो भवानी
उमा झा
उसकी कहानी
उसकी कहानी
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
अर्धांगिनी
अर्धांगिनी
Buddha Prakash
2994.*पूर्णिका*
2994.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हमसे कर ले कुछ तो बात.. दिसंबर में,
हमसे कर ले कुछ तो बात.. दिसंबर में,
पंकज परिंदा
तुम्हारा नाम
तुम्हारा नाम
अंकित आजाद गुप्ता
जिस इंसान में समझ थोड़ी कम होती है,
जिस इंसान में समझ थोड़ी कम होती है,
Ajit Kumar "Karn"
पिता के बिना सन्तान की, होती नहीं पहचान है
पिता के बिना सन्तान की, होती नहीं पहचान है
gurudeenverma198
इक्कीसवीं सदी का भागीरथ
इक्कीसवीं सदी का भागीरथ
आशा शैली
समेट लो..
समेट लो..
हिमांशु Kulshrestha
मिथिला -मैथिली: असमंजस स्थिति।
मिथिला -मैथिली: असमंजस स्थिति।
Acharya Rama Nand Mandal
श्वासें राधा हुईं प्राण कान्हा हुआ।
श्वासें राधा हुईं प्राण कान्हा हुआ।
Neelam Sharma
"सावधान"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...