क्या है घुटन ? अपनों के बीच महसूस हो रहा “अकेलापन” !!

क्या है घुटन ? अपनों के बीच महसूस हो रहा “अकेलापन” !!
घुटन
मन की गहराइयों में कुछ टूट रहा है, खुद से ही हर रोज़ कोई रूठ रहा है।
अपनों की महफ़िल में बैठा हुआ हूँ, पर दिल के अंदर एक सूनापन बूढ़ रहा है।
हँसी की परछाइयाँ साथ चलती हैं, पर आँखों में कोई नमी सी पलती है।
दिल की दीवारें कुछ कहती हैं मुझसे, पर बाहर की दुनिया को परवाह नहीं इससे।
शब्दों की डोरी से रिश्ते बंधे हैं, पर जज़्बातों के धागे कहाँ जुड़े हैं?
सुनता हूँ सबकी, कहता भी हूँ, पर मेरी आवाज़ कहीं खो गई है। सुन
कभी सोचा था, ये घर मेरा होगा, यहाँ हर दर्द का मरहम मिलेगा,
पर अब लगता है दीवारों ने बाँध लिया, और हर कोना मुझसे कुछ छुपा रहा है।
कहाँ जाऊँ? किससे कहूँ?
अपनों में रहकर भी क्यों सहूँ?
शायद घुटन की चुप्पी ही जवाब है, या फिर… खुद को खुद से मिलाने का हिसाब है!