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17 Nov 2024 · 1 min read

घनाक्षरी

सूर घनाक्षरी
सृजन शब्द -बरखा

बदरी काली है छाई,
बरखा बहार आई,
कली कली मुस्कुराई,
छटा चम-चम

सज गयी डाली डाली,
चहुँ ओर हरियाली,
कोयल भी कूके काली
बजे सरगम।

रिमझिम रिमझिम,
बूंदों की झम- झम,
मयूर की छम्म- छम्म,
होती हरदम।

ठंडी ठंडी पवन चले,
पत्तों पर ओस ढले,
लगें दिन भले भले,
गर्मी कम-कम

सीमा शर्मा ‘अंशु’

1 Like · 77 Views
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