Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2024 · 1 min read

थोड़ी है

(राहत इंदौरी से प्रेरणा लेते हुए)

सिर्फ एक जानवर के गोश्त को
अपने धरम के विरुद्ध खाते में,
डाल रखा है उन्होंने
गौपूँछ पकड़
अपने परलोक को संवारने के लालच में,
और, लोकतंत्र-सिद्ध अधिकार तुम्हारा छीन रखा है
कोई भी स्वाद पाने का,
लोकतंत्र की सत्ताई कुर्सी पर चढ़
सयाना वह, बेचारा
थोड़ी है

उन्हें फ़िक्र हो आई है नए पर
मुसलमान औरतों के हक़ की
ईमान को अपने नया धरातल दिया है मगर फुक्का,
हिंदुआना एजेंडा-ईमान अपना,
उन्होंने बदला
थोड़ी है।

तीन तलाक़ की पाबंदी पर जो लगी है आला कोर्ट की मुहर,
उसमें रिसीविंग एंड पर मुसलमान मर्द हैं, सही, महज़,
उनकी औरतों के ग़म कमे
थोड़ी है!

जिन्होंने स्त्री गर्भ से निकाल तुम्हारे बच्चों को
भाले की नोंक पर झोंका गुजरात नरसंहार रच
वे तेरे लिए दरियादिल हुए हैं, संभलो
ये घड़ियाली आँसू से लिपटा कपट प्यार अलग
थोड़ी है

इलेक्शन में जिन्होंने
न तेरे वोट की की फ़िकर नुमाइंदगी देने की,
वो यकबयक तेरे हो जाएंगे,
होता ऐसा
थोड़ी है।

Language: Hindi
49 Views
Books from Dr MusafiR BaithA
View all

You may also like these posts

अंधी पीसें कुत्ते खायें।
अंधी पीसें कुत्ते खायें।
Vishnu Prasad 'panchotiya'
नारी
नारी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
कृष्ण जन्माष्टमी
कृष्ण जन्माष्टमी
रुपेश कुमार
जश्न
जश्न
Rambali Mishra
शम्स' गर्दिश जो यूं ही करता है।
शम्स' गर्दिश जो यूं ही करता है।
Dr fauzia Naseem shad
भारी पहाड़ सा बोझ कुछ हल्का हो जाए
भारी पहाड़ सा बोझ कुछ हल्का हो जाए
शेखर सिंह
कौन यहाँ पर किसकी ख़ातिर,, बैठा है,,
कौन यहाँ पर किसकी ख़ातिर,, बैठा है,,
Shweta Soni
3417⚘ *पूर्णिका* ⚘
3417⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
ज़हर क्यों पी लिया
ज़हर क्यों पी लिया
Surinder blackpen
My Interpretation of Religion
My Interpretation of Religion
Deep Shikha
सूर्योदय
सूर्योदय
Madhu Shah
।।
।।
*प्रणय*
क़दम-क़दम पे मुसीबत है फिर भी चलना है
क़दम-क़दम पे मुसीबत है फिर भी चलना है
पूर्वार्थ
कितने सावन बीत गए.. (सैनिक की पत्नी की मीठी मनुहार)
कितने सावन बीत गए.. (सैनिक की पत्नी की मीठी मनुहार)
पं अंजू पांडेय अश्रु
मत छेड़ हमें देशभक्ति में हम डूबे है।
मत छेड़ हमें देशभक्ति में हम डूबे है।
Rj Anand Prajapati
रे मन
रे मन
Usha Gupta
सुलोचना
सुलोचना
Santosh kumar Miri
कौन गया किसको पता ,
कौन गया किसको पता ,
sushil sarna
आंतरिक विकाश कैसे लाए। - रविकेश झा
आंतरिक विकाश कैसे लाए। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
*सर्वोत्तम वरदान यही प्रभु, जिसका स्वास्थ्य प्रदाता है (मुक्
*सर्वोत्तम वरदान यही प्रभु, जिसका स्वास्थ्य प्रदाता है (मुक्
Ravi Prakash
नालन्दा
नालन्दा
Shailendra Aseem
उपासना
उपासना
Sudhir srivastava
sp116 बुझने लगे दीप
sp116 बुझने लगे दीप
Manoj Shrivastava
परेशानियों से न घबराना
परेशानियों से न घबराना
Vandna Thakur
भय की शिला
भय की शिला
शिवम राव मणि
कैसा कोलाहल यह जारी है....?
कैसा कोलाहल यह जारी है....?
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
हो चाहे कठिन से भी कठिन काम,
हो चाहे कठिन से भी कठिन काम,
Ajit Kumar "Karn"
मैं घमंडी नहीं हूँ ना कभी घमंड किया हमने
मैं घमंडी नहीं हूँ ना कभी घमंड किया हमने
Dr. Man Mohan Krishna
"चिन्तन का कोना"
Dr. Kishan tandon kranti
जब हक़ीक़त झूठ से टकरा गयी…!
जब हक़ीक़त झूठ से टकरा गयी…!
पंकज परिंदा
Loading...