sp 58 दुनिया का बहु रंगी मेला
दुनिया का बहुरंगी मेला
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दुनिया का बहुरंगी रेला लगा हुआ हर तरफ है मेला
दिखती हैं हर ओर भीड़ सी फिर भी हर इंसान अकेला
वही हाल साहित्य का भी है नाटक और कहानी कविता
कवि सम्मेलन की गजब दुर्दशा पैसा खेल रहा है खेला
अजब गजब हैं इसकी विधाएं गीत गजल अ प्रतिम कविताएं
सबसे प्रभावी है हास्य कविता जैसे लगा चाट का ठेला
लाइन लगाए लोग दिख रहे हैं हाथ में दोना लिए हुए हैं
कहते हैं और बनाओ तीखा ठेला बना है गजब तबेला
कोई कहता बनाओ मीठा और साथ में कर दो तीखा
दोनों स्वाद साथ मिल जाए हो जाए तब दूर झमेला
चाट खाओ चटखारे लेकर आखिर में हो सूखा बताशा
पियो बतासे वाला पानी कहता है यह कवि अलबेला
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अपने मन की व्यथा किसी से भी मत कहना
उनकी महफिल में तो पूरी मस्ती होगी
लोग तुम्हारी बात करेगे पीठ के पीछे
मिर्चा नमक लगा कर ही पूरी मस्ती होगी
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गायब