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15 Feb 2024 · 1 min read

हौसले के बिना उड़ान में क्या

हौसले के बिना उड़ान में क्या
देखना फिर है आसमान में क्या

हर खुशी ज़िंदगी की तुमसे है
है तुम्हारे सिवा जहान में क्या

सच की तस्वीर खींच कर रख दी
और कहते भी हम बयान में क्या

खौफ में भूल ही गए हम तो
लिख के आए हैं इम्तिहान में क्या

सोचना होगा एक दिन तो ये
करना है उम्र के ढलान में क्या

जो महल जैसा हो मगर खाली
रहना ऐसे किसी मकान में क्या

ज़िस्म ज़ख्मी है दिल बचा अब तक
तीर कोई नहीं कमान में क्या

धर्म के नाम पर करो झगड़े
ऐसा लिक्खा है संविधान में क्या

‘अर्चना’ कुछ तो बोलिए खुलकर
कोई ताला लगा ज़ुबान में क्या

14.02.2024
डॉ अर्चना गुप्ता

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