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22 Feb 2025 · 1 min read

मायका

मायका
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शरबती देवी समाज सुधार के कार्यक्रम में काफी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती थी।मंच से हमेशा नारी सम्मान,बाल विकास,पुरुषों के समान नारी को स्वतंत्रता, पुरुष एवं नारी में समानता,दहेज उत्पीड़न आदि पर काफी प्रभावशाली भाषण दिया करती थीं।

एक दिन जब उनकी एक मित्र कलमुँही देवी उनके घर आयीं तो उन्होंने अपनी बहू से चाय बनाने को कहा।बहु ने चाय लाकर दोनों को दिया।कलमुँही देवी ने चाय की तारीफ की और कहा- “शरबतिया!तुम्हारी बहु तो साक्षात लक्ष्मी है,घर को कितना साफ सुथरा रखती है और चाय तो बहुत ही अच्छी बनी है……..”
इतना सुनते ही शरबती देवी अंदर से जल-भुनकर राख हो गयी और उसने चाय की चुस्की लेते ही अजीब सी मुखाकृति बनाते हुए चिल्लाकर कहा-“बहु!तुमसे तो एक कप चाय भी नहीं बनती,क्या मायके में इतना भी नहीं सीखा?”
कलमुँही देवी चुपचाप मुस्कुरा रही थी।
–अनिल कुमार मिश्र,राँची,झारखंड

Language: Hindi
27 Views
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