Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

आस का दीपक

मुश्किलों के दौर में भी मुस्कुराना चाहिये!
आस का दीपक नहीं हमको बुझाना चाहिये!!

ज़िंदगी के खेल में हो जंग रिश्तों से अगर!
छोड़ कर अभिमान झूठा हार जाना चाहिये!!

कौन जाने कब तलक तुमको मिली सांसे यहाँ!
भूल सब संजीदगी हँसना हँसाना चाहिये!!

हौंसला शाहीन सा तुम इस ज़माने में रखो!
बादलों से तुमको ऊँचा उड़ दिखाना चाहिये!!

साथ हैं तेरे मुसाफ़िर ये ज़मीनो-आसमां!
बेधड़क आगे ही आगे पग बढ़ाना चाहिये!!

धर्मेंद्र अरोड़ा “मुसाफ़िर”
संपर्क सूत्र:9034376051

92 Views

You may also like these posts

हकीकत
हकीकत
P S Dhami
दोहा पंचक. . . . . विविध
दोहा पंचक. . . . . विविध
sushil sarna
मन को भिगो दे
मन को भिगो दे
हिमांशु Kulshrestha
अधूरा इश्क
अधूरा इश्क
सुशील भारती
प्रथ्वी पर स्वर्ग
प्रथ्वी पर स्वर्ग
Vibha Jain
बग़ावत की लहर कैसे.?
बग़ावत की लहर कैसे.?
पंकज परिंदा
चाँद
चाँद
Atul "Krishn"
भोर का दृश्य
भोर का दृश्य
surenderpal vaidya
I Love To Vanish Like A Shooting Star.
I Love To Vanish Like A Shooting Star.
Manisha Manjari
जब मुकद्दर को आज़माएंगे ,
जब मुकद्दर को आज़माएंगे ,
Dr fauzia Naseem shad
"तब तुम क्या करती"
Lohit Tamta
*नज़ाकत या उल्फत*
*नज़ाकत या उल्फत*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुद्दा सुलझे रार मचाए बैठे हो।
मुद्दा सुलझे रार मचाए बैठे हो।
Kumar Kalhans
श्रेष्ठ वही है...
श्रेष्ठ वही है...
Shubham Pandey (S P)
मैं पत्थर की मूरत में  भगवान देखता हूँ ।
मैं पत्थर की मूरत में भगवान देखता हूँ ।
Ashwini sharma
शिव रात्रि
शिव रात्रि
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
प्यासा के भोजपुरी ग़ज़ल
प्यासा के भोजपुरी ग़ज़ल
Vijay kumar Pandey
बिना काविश तो कोई भी खुशी आने से रही। ख्वाहिश ए नफ़्स कभी आगे बढ़ाने से रही। ❤️ ख्वाहिशें लज्ज़त ए दीदार जवां है अब तक। उस से मिलने की तमन्ना तो ज़माने से रही। ❤️
बिना काविश तो कोई भी खुशी आने से रही। ख्वाहिश ए नफ़्स कभी आगे बढ़ाने से रही। ❤️ ख्वाहिशें लज्ज़त ए दीदार जवां है अब तक। उस से मिलने की तमन्ना तो ज़माने से रही। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कविता
कविता
Rambali Mishra
चिड़ियों की चहक
चिड़ियों की चहक
Santosh kumar Miri
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
ललकार भारद्वाज
आता एक बार फिर से तो
आता एक बार फिर से तो
Dr Manju Saini
ऐसी फूलों की एक दुकान उस गली मैं खोलूंगा,
ऐसी फूलों की एक दुकान उस गली मैं खोलूंगा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
আমার মৃত্যু
আমার মৃত্যু
Arghyadeep Chakraborty
प्रशंसा नहीं करते ना देते टिप्पणी जो ,
प्रशंसा नहीं करते ना देते टिप्पणी जो ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
..
..
*प्रणय*
जय माँ हंसवाहिनी।
जय माँ हंसवाहिनी।
Priya princess panwar
" कृष्णक प्रतीक्षा "
DrLakshman Jha Parimal
“It is not for nothing that our age cries out for the redeem
“It is not for nothing that our age cries out for the redeem
पूर्वार्थ
4313💐 *पूर्णिका* 💐
4313💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Loading...