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18 May 2024 · 1 min read

कौन मनाएगा तुमको

यहां कौन मनाएगा तुमको
कि तुम ऐसे रुठे रहते हो
कोई क्या उसे सुनता भी है
जो कुछ भी तुम कहते हो…
(२)
क्या तुम्हारा ज़मीर मर गया
या तुम्हारी गैरत मिट गई
इतनी ज़लालत और फ़ज़ीहत
आख़िर किस लिए सहते हो…
(३)
भला प्यार और गुलामी में
कोई फ़र्क होता है कि नहीं
वही मारता है लात तुम्हें
जिसके पैरों में ढहते हो…
(४)
क्या तुम हालात के दरिया में
चुपचाप ग़र्क हो जाओगे
वक़्त की धारा में क्यों एक
लाश की तरह बहते हो…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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