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23 Sep 2024 · 1 min read

****हर पल मरते रोज़ हैं****

****हर पल मरते रोज़ हैं****
***********************

हर पल हर दम मरते रोज़ हैं,
गम पी कर भी करते मौज हैं।

औरों को खुश कर देखा यहाँ,
पर खुद के सिर रहता बोझ है।

लालच में डूबे रहते सभी,
अवसरवादी जन की फ़ौज है।

सुख-दुख में साथी कोई नहीं,
यही पूरी न होती ख़ोज है।

मनसीरत दुनियादारी देख ली,
दर्द-ए-दिल सहने की हौज़ है।
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

80 Views

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