Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

मित्रता

मैले वस्त्र पहन सुदामा चले द्वारका नगड़ी,
कृष्ण कन्हैया दौड़े आए करने स्वागत उनकी ।
गले मिले , नयन भरे ,दोनों बड़े आनंदित हुए ,
धनवान और गरीब का भेद यहां ना देखने को मिले ।
संकोचवश सुदामा ने नहीं बताया था हाल अपना,
श्री कृष्ण तो अंतर्यामी पूरा कर दिए मित्र का सपना ।
लौटे सुदामा घर की ओर तो दिखी ना उसको झोपड़ी,
बदले में खड़ी थी अट्टालिका विशाल बड़ी,
चकित सुदामा मन ही मन किए मित्र को प्रणाम ,
क्या कोई मित्रता देखी है किसी ने श्री कृष्ण सुदामा समान।
मित्रता में ना कोई स्वार्थ निहित रहता है ,
यह तो अटूट बंधन है जो एक दूसरे को जोड़ कर रखता है।

—-उत्तीर्णा धर

Language: Hindi
1 Like · 104 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

तारीख देखा तो ये साल भी खत्म होने जा रहा। कुछ समय बैठा और गय
तारीख देखा तो ये साल भी खत्म होने जा रहा। कुछ समय बैठा और गय
पूर्वार्थ देव
मोहब्बत-ए-सितम
मोहब्बत-ए-सितम
Neeraj Mishra " नीर "
भूख
भूख
Mansi Kadam
ज़ेहन पे जब लगाम होता है
ज़ेहन पे जब लगाम होता है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
कुछ टूट गया
कुछ टूट गया
Dr fauzia Naseem shad
संचित अभिलाष
संचित अभिलाष
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
एक-दूसरे के लिए
एक-दूसरे के लिए
Abhishek Rajhans
स्वयं को संत कहते हैं,किया धन खूब संचित है। बने रहबर वो' दुनिया के
स्वयं को संत कहते हैं,किया धन खूब संचित है। बने रहबर वो' दुनिया के
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
एहसास
एहसास
Dr. Rajeev Jain
"वक्त के साथ"
Dr. Kishan tandon kranti
तमाम रातें तकतें बीती
तमाम रातें तकतें बीती
Suryakant Dwivedi
मौन
मौन
Varun Singh Gautam
उम्र जो काट रहे हैं तेरी यादों के सहारे,
उम्र जो काट रहे हैं तेरी यादों के सहारे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हमारे तुम्हारे चाहत में, बस यही फर्क है।
हमारे तुम्हारे चाहत में, बस यही फर्क है।
Anand Kumar
कई बरस बाद दिखोगे
कई बरस बाद दिखोगे
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
"अमृत महोत्सव"
राकेश चौरसिया
- तेरी मेरी प्रेम कहानी -
- तेरी मेरी प्रेम कहानी -
bharat gehlot
भारत देश हमारा है
भारत देश हमारा है
Arvind trivedi
समय का प्रवाह
समय का प्रवाह
Rambali Mishra
आश्रित.......
आश्रित.......
Naushaba Suriya
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
प्लास्टिक की गुड़िया!
प्लास्टिक की गुड़िया!
कविता झा ‘गीत’
पदावली
पदावली
seema sharma
ये तुंद हवायें …
ये तुंद हवायें …
sushil sarna
स्वयं का स्वयं पर
स्वयं का स्वयं पर
©️ दामिनी नारायण सिंह
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
सर्द
सर्द
Mamta Rani
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कुछ वक्त खामोश होकर भी देख लिया हमने...
कुछ वक्त खामोश होकर भी देख लिया हमने...
पूर्वार्थ
आजकल के लोग स्नेह, सौहार्द्र व सद्भाव के बजाय केवल स्वार्थ क
आजकल के लोग स्नेह, सौहार्द्र व सद्भाव के बजाय केवल स्वार्थ क
*प्रणय प्रभात*
Loading...