तारीख देखा तो ये साल भी खत्म होने जा रहा। कुछ समय बैठा और गय
तारीख देखा तो ये साल भी खत्म होने जा रहा। कुछ समय बैठा और गया अपने खयालों में… याद किया साल के शुरू में किए हुए वादों को और वो फिर से अधूरे रह गये..
फिर शांत किया अपने मन में चल रहे तूफान को, सोचा कि किसी ने तो कहा था “जब जागो तभी सवेरा” फिर करेंगे इस साल कुछ वादे अपने से और अपनों से, लेकिन इस बार इसे टूटने नहीं देंगे करेंगे खुद पे मेहनत क्योंकि बात अपने से ज्यादा अपनों पे है, और अंततः….
वादे पूरे होंगे