शराफ़त न ढूंढो़ इस जमाने में
रहता है जिसका जैसा व्यवहार,
क्या करूं मैं! भुलके भी तुझे कभी नहीं भुला सका।
रिश्ते अच्छे भी कभी,जाते हैं तब टूट
आपस में अब द्वंद है, मिलते नहीं स्वभाव।
जिंदगी बंद दरवाजा की तरह है
सर्वप्रथम पिया से रंग
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
बाकी रह जाए याद में बाकी,