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15 Apr 2024 · 1 min read

इश्क़ और इंकलाब

मुझमें भी कमज़ोरियां हैं
मैं कोई फरिश्ता नहीं हूं
जब मुझे गुस्सा आता है,
मैं उसको रोकता नहीं हूं…
(१)
एक मर्द होने के कारण
औरतों में दिलचस्पी तो है
मगर कभी अपने आपको
मैं उन पर थोपता नहीं हूं…
(२)
अगर उसमें आज़ादी न हो
तो हर रिश्ता एक ज़ंजीर है
दोस्त या दुश्मन किसी को
मैं बेवजह टोकता नहीं हूं…
(३)
आख़िर दिल के मामलों में
दिमाग़ से क्यों काम लेना
बात जहां जज़्बात की हो,
मैं अधिक सोचता नहीं हूं…
(४)
अच्छा या बुरा जो जैसा है
वैसे ही मेरे सामने आए
सच चाहे जितना कड़वा हो
मैं बिल्कुल कोसता नहीं हूं…
(५)
दिल को बहलाने के लिए
मदहोशी लाने वाली दवा
अपनी बातों या गीतों में
मैं कभी परोसता नहीं हूं…
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Shekhar Chandra Mitra
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