ट्रंप का मस्क और मस्क के मस्के!
जबसे मिली ट्रंप को सत्ता,
जमा रहा है अपना सिक्का,
हलचल मचा के रखी है,
उथल पुथल लगा रखी है,
एक ओर है टैरिफ का वार,
एक ओर सत्ता का विस्तार,
गजा कनाडा और मैक्सिको,
गिद्ध दृष्टि से देख रहा वो,
विस्तार वाद के सपने देखे,
काम पर है इसी को लेके!
इजराइल हो या हमास हिजबुल्ला,
या हो यूक्रेन और रुस का मसला,
सब पर अपना हुक्म बजाता,
ना मानने पर है धमकाता,
यूरोपीय यूनियन के देश हों,
या एशिया महाद्वीप के देश,
सब को दे रहा आदेश,
हैं अभी सभी खामोश,
पर कब तक यह खामोशी रहेगी,
कब तक ट्रंप की हेकड़ी चलेगी!
ट्रंप का चेला मस्क,
दे रहा है कसक,
नये नये खुलासे करता,
कभी चुनावों के चन्दे में उलझाता,
तो कभी मोदी जी को सांप्रदायिक कहता,
राहुल को इमानदार और योग्य बताता ,
तो किसी पर जासूसी के आरोप है जडता!
क्या है इन दोनो का खेला,
क्यों जुटा रहें मजमा मेला,
घुडकी दे दे कर धमकाते हैं,
बात बात पर आंख दिखाते हैं,
कुछ तो मसला है इन दोनो का,
जो लगा रहे हैं मिलकर तडका!
घुसपैठियों पर क्रूर नजर है,
घर वापसी अपमान जनक है,
बेडी हथकड़ी का क्या तुक था,
बेइज्जत करना ही क्या उद्देश्य था,
वर्ना सम्मान जनक प्रत्यर्पण होता,
जो नहीं मानता उसपर केश चलता,
रिफ्यूजी कैंप में डालते,
जिन देशों के थे उन्हें बताते,
पर नहीं उन्हें तो बेज्जत करना था,
उन देशों की गैरत को उकसाना था,
और कुछ देशों ने अपनी गैरत भी दिखाई,
पर हम एक सौ चालीस करोड वाले भाई,
देते रहे उनके नियम कानून की दुहाई,
अपने देश के गुमराहों पर दया नही आई!
अब तो हालात और भी खराब होने वाले हैं,
उद्योग धंधों पर संकट मंडराने वाले हैं,
टेस्ला से लेकर स्टार लिंक आने वाले है,
आटे से लेकर डाटा तक,
उन्हीं की तूती बजने लगेगी,
आबरु बे आबरु होकर रहेगी,
उनकी तो पनौती की चुनौती है,
अपने बड़े बड़े सुरमा,
कर आए चरण वंदना,
अब क्या कुछ कहना,
पड रहा है सब कुछ सहना,
कद घटा कर -कर गये अदना,
और फिर भी हमें चिढ़ाते हैं,
हम्हें ही अपना बाजार भी बनाते हैं!
पर गैरों से क्या करें वफा की उम्मीद,
जब अपनो को ही नहीं इसकी ताकीद,
हमें बाजार बना कर सौंप रहे हैं!
हां तो बात हो रही थी,
डोनाल्ड के मस्क की,
और मस्क के मस्कों की,
अब देखते है,
डोनाल्ड का ट्रंप कार्ड चलता है,
या मस्क के मस्के,
लेते रहेंगे चस्के,
या फिर अपने देश के रहनुमे,
कसत्ते हैं इन दोनों को मुस्के!!