ज्ञान,ज्ञेय,ज्ञाता की नहीं कोई वास्तविकता: जितेंद्रकमलआनंद(पोस्ट ९८/ १०२)
घनाक्षरी
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ज्ञान, ज्ञेय, ज्ञाता की कोई डासंतविकता,
परस्वर असम्बंध ,कियोंकि मैं निरंजन ।
ज्ञान ,ज्ञेय,ज्ञाता तो अज्ञानियों को भासते हैं ।
सोचमें विविधता , है बंधन ही बंधन ।
है तथ्य- कथ्य आत्मा यह , तत्व परम आत्मा ,
मंथन किया हुआ है , सत्य यही चिंतन ,
कोई ज्ञान अंतिम न , ज्ञान तो अनन्तिम है ।
अज्ञान से होता आया है , सदा ही क्रंदन ।।
—– जितेंद्रकमलआनंद