अलविदा

इससे पहले कि हम बेवफ़ा हो जाएं,
ऐ दोस्त, चल अब जुदा हो जाएं!!
चंदन सा तिलक समझकर तुझे,
माथे पर श्रद्धा से लगाया था मैं;
तेरे सुझावों को आदेश मान,
कर्तव्य पथ पर खपाया था मैं!
सजदे में जिसके झुकाया था सर,
कैसे भला अब उखड़ हो जाएं:
इससे पहले कि हम बेवफ़ा हो जाएं,
ऐ दोस्त, चल अब जुदा हो जाएं!!
क्यों शिकवा करें या शिकायत करें,
क्यों जाकर कहीं भी करें फरियाद;
मुकद्दर में दोनों के जितना लिखा था,
उतना ही दोनों ने निभाया है साथ!
लेखनी से ज्यादा क्यों मांग जहां में,
खुद के नज़र में बौना हो जाएं;
इससे पहले कि हम बेवफ़ा हो जाएं,
ऐ दोस्त, चल अब जुदा हो जाएं!!
मिलना बिछड़ना तो नीयती है,
करे मौत या अभिमान या शोहरत;
साथ झुंड सहयोग दुआएं,
शेरों को इनकी क्या है ज़रूरत!
धारा नदी का जो बहता है अविरल,
क्यों पोखर के हिस्से सदा हो जाए;
इससे पहले कि हम बेवफ़ा हो जाएं,
ऐ दोस्त, चल अब जुदा हो जाएं!!
अपनी मोहब्बत के जो किस्से हैं अब तक,
सुंदर सुनहरे सलोने हैं यादें;
आरोप प्रत्यारोप की चक्की में क्यों पीस,
कालीख करें हसीन लम्हों की बुनियादें!
बंधन है जीवन में रिश्तों के असंख्य,
मित्रता से तो कम से कम आज़ाद हो जाएं;
इससे पहले कि हम बेवफ़ा हो जाएं,
ऐ दोस्त, चल अब जुदा हो जाएं!!
अब ना कभी भी पुकारेंगे तुझको,
फेरा है मुंह, तो ना निहारेंगे तुझको;
उम्र भर की दुआएं दे रहा हूं,
याद कभी मेरी आए ना तुझको!
चुका दूंगा कर्ज़ सारे हिस्से के मेरे,
स्वाभिमान के राहों में फ़ना हो जाएं;
इससे पहले कि हम बेवफ़ा हो जाएं,
ऐ दोस्त, चल अब जुदा हो जाएं!!
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महेश ओझा