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24 Oct 2016 · 1 min read

नव्य वर्ष शुभ मंगलमय है ! -- जितेंद्रकमलआनंद ( १०२)

नव्य वर्ष शुभ मंगलमय है ! ( गीत )
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सूऋ्य अग्रसर उत्तर दिशि में , नव्य वर्ष शुभ मंगलमय है ।।

आशा के पल्लव अधरों पर थिरक रही नव सुस्मित लाली ।
खिलने लगा कमलका आनन,लगीकूकने कोयल आली
सतरंगी किरणों के रथ पर निकले रवि की पूर्ण विजय है

नीले- पीले,लाल- गुलाबी फूलोंके तन लगे महकने ।
नव विहान पर नवल पंख धर खगकुल भ हैं लगे चहकने
धरती तक अनुकूल व्योम से रंगसँयोजन सुंदर लय है ।।

कविकुल हर्षित सुरभित नंदन मुदित धरित्री मगन गगन है
प्रगतिमार्ग पर बढ़ते जानेकी ही लगी लगन है ।
संध्या को अम।त बरसाता विधु पृध्वीपृध्वी का पूत तनय है ।।
,——- जितेंद्रकमलआनंद

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