शायरों के साथ ढल जाती ग़ज़ल।
°°आमार साद ना मिटिलो.....??
एक हम हैं कि ख्वाहिशें,चाहतें
कटे न लम्हा ये बेबसी का ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
हां मैं ईश्वर हूँ ( मातृ दिवस )
गुज़ारिश है तुमसे
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
चलती है उलटीं रित इस जहां में,
ध्यान सारा लगा था सफर की तरफ़
सगळां तीरथ जोवियां, बुझी न मन री प्यास।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
उसने जाने का सोचा और मैंने भी जाने दिया।
खिड़कियाँ -- कुछ खुलीं हैं अब भी - कुछ बरसों से बंद हैं
बस यूं ही
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
कुछ लोगों का प्यार जिस्म की जरुरत से कहीं ऊपर होता है...!!