Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 2 min read

हां मैं ईश्वर हूँ ( मातृ दिवस )

हां मैं ईश्वर हूँ (मातृ दिवस)
मैं अरावली पहाड़ियों से मकराना जगह से जा रहा था ।
वहाँ आवाज़ गुंज रही थी ।
लय-ताल से मधुर – गुंज में पत्थर को तराशते हाथ ।
मैं ने कहाँ ?
ये आप किसकी मूर्ती बना रहें ।
मैं रोज इस मार्ग से जा रहा हूँ , और
आपको तन्मयता – भक्तिमय से कार्य करते देख रहा हूँ ।
मानो तराशने वाले हाथ ही ईश्वर हो ,
हां मैं ईश्वर हूँ ,
मैं माँ को आकार – प्रकार प्राण दे रहा हूँ।
मुझे जिज्ञासा हुयी , कैसे आकार-प्रकार प्राण देते हो ?
जिसके कोख से मानवता पुरुषार्थ जन्में
जिसके गोद में सृष्टि समा जाए
जिसके स्पर्श मात्र से बड़ी से बड़ी चोट को सहलाकर ठीक कर दे
जिसके दो हाथ , सबको दिखे , पर हो असंख्य , तांकि जीवन संवारने का
उसका कर्त्तव्य , बिन बाधा पूरा हो सके
जिसके मन में भी
आँखे हो जिससे वह
दूर बैठी बच्चों – परिवार को देख सके
जो बीमार होने पर भी
दस-बारह लोगों वाले
परिवार के लिऐ
हंसकर खुशी से भोजन बना दे
नाजुक हो ,
पर हर मुश्किल को
हरा सकने का दमखम रखें
जिसके आंचल तले
सृष्टि को सुरक्षा मिले
जिसके नेत्रों में
अपने बच्चों के लिए
भावनाओं से भाव भरा जल हो
उनके शत्रुओं के लिऐ ज्वाला
जिसके दर्शन मात्र से
मानवता कृत – कृत हो
मैं उसे आकार-प्रकार प्राण गढ़ रहा हूँ ,
जीसे मानव ,
ठेस तो बहुत पहूंचाएगा ,
पर उसका हाथ
न आशीर्वाद देने से रुकेगा ,
और न अंतकरण दुआ मांगने से
मैं अपना प्रतिरुप आकार-प्रकार प्राण गढ़ रहा हूँ ।
माँ को नमन – ईश्वर प्रतिरुप को नमन ।
000
– राजू गजभिये

Language: Hindi
1 Like · 123 Views
Books from Raju Gajbhiye
View all

You may also like these posts

दस्तक भूली राह दरवाजा
दस्तक भूली राह दरवाजा
Suryakant Dwivedi
11 धूप की तितलियां ....
11 धूप की तितलियां ....
Kshma Urmila
ध्यान क्या है, ध्यान क्यों करना चाहिए, और ध्यान के क्या क्या फायदा हो सकता है? - रविकेश झा
ध्यान क्या है, ध्यान क्यों करना चाहिए, और ध्यान के क्या क्या फायदा हो सकता है? - रविकेश झा
Ravikesh Jha
..
..
*प्रणय*
तारे हैं आसमां में हजारों हजार दोस्त।
तारे हैं आसमां में हजारों हजार दोस्त।
सत्य कुमार प्रेमी
सोचता हूँ..
सोचता हूँ..
Vivek Pandey
सम्पूर्ण सनातन
सम्पूर्ण सनातन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
2650.पूर्णिका
2650.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
नव प्रबुद्ध भारती
नव प्रबुद्ध भारती
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ये बेजुबान हैं
ये बेजुबान हैं
Sonam Puneet Dubey
महाकाव्य 'वीर-गाथा' का प्रथम खंड— 'पृष्ठभूमि'
महाकाव्य 'वीर-गाथा' का प्रथम खंड— 'पृष्ठभूमि'
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
लोग कितनी आशा लगाकर यहाॅं आते हैं...
लोग कितनी आशा लगाकर यहाॅं आते हैं...
Ajit Kumar "Karn"
बुंदेली दोहा-गर्राट
बुंदेली दोहा-गर्राट
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दोहा पंचक. . . नववर्ष
दोहा पंचक. . . नववर्ष
Sushil Sarna
जनाब, दोस्तों के भी पसंदों को समझो ! बेवजह लगातार एक ही विषय
जनाब, दोस्तों के भी पसंदों को समझो ! बेवजह लगातार एक ही विषय
DrLakshman Jha Parimal
अबला सबला हो गई,
अबला सबला हो गई,
sushil sarna
*** लहरों के संग....! ***
*** लहरों के संग....! ***
VEDANTA PATEL
अल मस्त फकीर
अल मस्त फकीर
Dr. P.C. Bisen
राम
राम
Sanjay ' शून्य'
नील छंद (वर्णिक) विधान सउदाहरण - ५भगण +गुरु
नील छंद (वर्णिक) विधान सउदाहरण - ५भगण +गुरु
Subhash Singhai
हम अपनी आवारगी से डरते हैं
हम अपनी आवारगी से डरते हैं
Surinder blackpen
माँ एक एहसास है......
माँ एक एहसास है......
Harminder Kaur
राष्ट्रीय विकास
राष्ट्रीय विकास
Rahul Singh
ये राष्ट्रभक्ति का उपहार प्रिये
ये राष्ट्रभक्ति का उपहार प्रिये
Acharya Shilak Ram
बर्फ
बर्फ
Santosh kumar Miri
" अगर "
Dr. Kishan tandon kranti
इंतहा
इंतहा
Kanchan Khanna
अज़ीज़ टुकड़ों और किश्तों में नज़र आते हैं
अज़ीज़ टुकड़ों और किश्तों में नज़र आते हैं
Atul "Krishn"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
एक दिन बिना इंटरनेट के
एक दिन बिना इंटरनेट के
Neerja Sharma
Loading...