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30 Dec 2024 · 1 min read

चतुष्पदी

चतुष्पदी
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हर जगह बसंत, है छा रहा।
प्रिय मधुर खुमार, है ला रहा।
सुबह समय धूप, है आ रही।
पवन मृदु सुगंध, फैला रही।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य

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