मेरे चाहने से

मेरे चाहने से क्या होता है।
हक किस्मत का भी होता है।
जो जगाता रहा था लोगों को
आज कब्र के नीचे सोता है।
तमाम उम्र बुरा न किया जिसने
रोज़ खूं से सने हाथ धोता है।
मुस्कराती रही जिसकी आंखें
बंद आंखों से आज रोता है।
ज़िद अच्छी नहीं होती इतनी
खुदा का लिखा भी कुछ होता है।
सुरिंदर कौर