चन्द्रिका

गीतिका छंद
चांद की चांदनी जो निखरने लगी |
चन्द्रिका चाँद की अब बिखरने लगी |
प्रेम की वल्लरी जो चढ़ी बाग में,
यामिनी गा उठी प्रीत की राग में |
रागिनी राग में अब चहकने लगी |
चन्द्रिका चाँद की अब बिखरने लगी |
चाँद की चाँदनी जो निरखने लगी |
झांकती ओट से चांद की चांदनी|
ये धरा भी दिखे रूपसी दामनी |
प्रीत की बेल बढ़कर महकने लगी |
चन्द्रिका चाँद की अब बिखरने लगी |
चाँद की चाँदनी अब निरखने लगी |
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम