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25 Feb 2025 · 1 min read

चन्द्रिका

गीतिका छंद

चांद की चांदनी जो निखरने लगी |
चन्द्रिका चाँद की अब बिखरने लगी |

प्रेम की वल्लरी जो चढ़ी बाग में,
यामिनी गा उठी प्रीत की राग में |

रागिनी राग में अब चहकने लगी |
चन्द्रिका चाँद की अब बिखरने लगी |
चाँद की चाँदनी जो निरखने लगी |

झांकती ओट से चांद की चांदनी|
ये धरा भी दिखे रूपसी दामनी |

प्रीत की बेल बढ़कर महकने लगी |
चन्द्रिका चाँद की अब बिखरने लगी |
चाँद की चाँदनी अब निरखने लगी |
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

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