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21 Feb 2024 · 1 min read

क्या देखा

उसने पूछा तूने मुझमें क्या देखा
क्या अपनी तरह मुझे ग़मज़दा देखा

सुर्ख़ लबों की देखीं कुछ मुस्कुराहट
ज़र्द आंखों में अश्क़ का कारवां देखा

शख्सियत की देखीं कई बारीकियां
सुकून का बाग़ एक गुलसितां देखा

न होता कहीं तो फिर कहीं नहीं होता
हर शय में मुस्कुराता हुआ ख़ुदा देखा

मैंने देखी सब रहमतें ही रहमतें अजय
कहाँ मैंने उसका कोई ज़लज़ला देखा

अजय मिश्र

Language: Hindi
1 Like · 138 Views
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