Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Mar 2024 · 2 min read

सत्य यह भी

मैंने सच को सच कहा
झूठ को कहा झूठ
फिर भी निर्दयी दुनिया कह रही
मैं रहा सभी को लूट
सत्य सीधा साधा है
फिर भी इसकी राहों में बाधा हैं
झूठ के होते सिर पैर कहाँ
इसलिए पर्यावरण में तैर रहा
लेकर अनचाही अनगरल बातें
सोचो इनको कौन फैलाते
सच के पाँव हैं फिर भी
भटकता फिरता है
दुहाई देता फिरता है
दुनिया कितनी अड़ती है
हर बार सफाई उसे ही देनी पड़ती है
कि मैं सत्य हूँ
कभी झूठ ने कहा है कि
मैं झूठ हूँ
अगर मैं चींख चींख कर भी कहूँ
मैं सत्य हूँ मैं सत्य हूँ
तो भी विश्वास नहीं होता
वजूद को खोता रोता
उधर झूठ तरह तरह से अपनी फसलें बोता
एक झूठ के सहारे जीवन यापन होता है
रहने भी दो राज तो बस राज होता है
सत्य दर दर की ठोकर देता
कष्ट ,दुख और पीड़ा देता
मीठा सभी को सुहाता
लपर लपर चलती है जीभ
पर
जबसे इसको पता चला है
सत्य कड़वी दवा है
न चखती है न गटकती है
गलती से चख लिया हो तो
एकांत टटोला जाता है
जब राजा के सिर पर सींग उग आता है
तब कहीं पेड़ के खोखल में
सत्य उगला जाता है
सत्यवादी गुमराह हुए
साथ छोड़ रहे हैं पहरुहे
सत्य अब दिखता नहीं
देर तक टिकता नहीं
जनता धर्म उठाने से डरती नहीं
अब माँ पिता पुत्र की सौगंध कोई मायने रखती नहीं
बिसात न्याय की अब काली हो गयी
चेहरे से उठा पर्दा, भीतर जाली हो गयी
माँ की ममता मर गयी
अपनो का अपनत्व गया
सत गया सतीत्व गया
इंसानियत को इंसान
चाय की चुस्कियों में सुड़क सुड़क कर पी गया
सत्य का पर्याय, जल भरा लौटा उठाना
जल भरी अँजुरी
जो देता सत्य को मंजूरी
हालात बदले
बदले भी तो इतने
अब पानी पानी है
माँ सत्य नहीं
पिता सत्य नहीं
पानी भी तो सत्य नहीं
जिसकी पवित्रता की सौगंध खाई जाती थी
सत्य नहीं है गोचर कुछ भी
शक की तलवार तुझ पर भी लटकी है
आ देख जरा तेरी बनायी सृष्टि
कितनी भटकी है
घूँट भर भर अनुभवों की दवा मैंने भी घटकी है
सत्य का यह हाल देख
मैं तुझसे रूठा हूँ
सत्य का यह हाल देख
मैं तुझसे रूठा हूँ
पर आह ! विडम्बना पर आह ! विडम्बना
सबसे बड़ा तो मैं ही झूठा हूँ
सबसे बड़ा तो मैं ही झूठा हूँ ।।

भवानी सिंह “भूधर”
बड़नगर,जयपुर

3 Likes · 158 Views

You may also like these posts

शेर
शेर
*प्रणय*
बड़भागिनी
बड़भागिनी
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
दोस्त कहता है मेरा खुद को तो
दोस्त कहता है मेरा खुद को तो
Seema gupta,Alwar
पावन मन्दिर देश का,
पावन मन्दिर देश का,
sushil sarna
ढ़ूंढ़ रहे जग में कमी
ढ़ूंढ़ रहे जग में कमी
लक्ष्मी सिंह
कुछ अपनें ऐसे होते हैं,
कुछ अपनें ऐसे होते हैं,
Yogendra Chaturwedi
मां के कोख से
मां के कोख से
Radha Bablu mishra
मंजिल का रास्ता आएगा।
मंजिल का रास्ता आएगा।
Kuldeep mishra (KD)
गुलमोहर के लिए
गुलमोहर के लिए
Akash Agam
THE STORY OF MY CHILDHOOD
THE STORY OF MY CHILDHOOD
ASHISH KUMAR SINGH
देखिए आईपीएल एक वह बिजनेस है
देखिए आईपीएल एक वह बिजनेस है
शेखर सिंह
5 दोहे- वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई पर केंद्रित
5 दोहे- वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई पर केंद्रित
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*धनुष (बाल कविता)*
*धनुष (बाल कविता)*
Ravi Prakash
दिल के किसी कोने में अधुरी ख्वाइशों का जमघट हैं ।
दिल के किसी कोने में अधुरी ख्वाइशों का जमघट हैं ।
Ashwini sharma
हरित - वसुंधरा।
हरित - वसुंधरा।
Anil Mishra Prahari
मुझे जब भी तुम प्यार से देखती हो
मुझे जब भी तुम प्यार से देखती हो
Johnny Ahmed 'क़ैस'
4354.*पूर्णिका*
4354.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
समीक्ष्य कृति: बोल जमूरे! बोल
समीक्ष्य कृति: बोल जमूरे! बोल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
क्या खूब थी वो जिंदगी ,
क्या खूब थी वो जिंदगी ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
असहाय वेदना
असहाय वेदना
Shashi Mahajan
🍀🪷🙌 Go for a walk
🍀🪷🙌 Go for a walk
पूर्वार्थ
तुम कहो या न कहो,है उम्रभर की यह प्रतीक्षा
तुम कहो या न कहो,है उम्रभर की यह प्रतीक्षा
दीपक झा रुद्रा
हुस्न उनका न कभी...
हुस्न उनका न कभी...
आकाश महेशपुरी
"चाबी वाला खिलौना"
Dr. Kishan tandon kranti
सवाल सिर्फ आँखों में बचे थे, जुबान तो खामोश हो चली थी, साँसों में बेबसी का संगीत था, धड़कने बर्फ़ सी जमीं थी.......
सवाल सिर्फ आँखों में बचे थे, जुबान तो खामोश हो चली थी, साँसों में बेबसी का संगीत था, धड़कने बर्फ़ सी जमीं थी.......
Manisha Manjari
यादों की है कसक निराली
यादों की है कसक निराली
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
आदमी और गधा
आदमी और गधा
Shailendra Aseem
निकल पड़े है एक बार फिर नये सफर पर,
निकल पड़े है एक बार फिर नये सफर पर,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
गर्मी
गर्मी
Rajesh Kumar Kaurav
न दुख से परेशान होइए।
न दुख से परेशान होइए।
Rj Anand Prajapati
Loading...