Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jan 2025 · 1 min read

जिंदगी से सामना

जिंदगी जब कभी किसी मरघट की तरह
एकदम बंजर और वीरान लगने लगती है
आस पास के लोगों को देख सुसुप्त मन में
फिर से एकबार नई आस जगने लगती है

किसे मालूम है कब अचानक किसी दिन ये
चुपचाप ऐसे ही कभी भी खत्म हो ना जाए
और देखते ही देखते सब कुछ गुमनामी में
हमेशा के लिए ही कहीं भी खो ना जाए

जब तक मचा रहता है अन्दर में कशमकश
तो कोई फिर कुछ कह भी नहीं सकता
वैसे भी जिंदगी से दो-चार हाथ किए बिना
ऐसे ही कोई कहीं जा भी नहीं सकता

कहीं मुझ पर तरस खाकर तो नहीं
ये जिंदगी मुझसे कुछ करवाने पर अड़ी है
और उसके इसी चक्रव्यूह में पड़ कर तो नहीं
मेरी सांसे अब भी इसी बहाने अटकी पड़ी है

लगता है अब कुछ ना कुछ इस दुनिया में
केवल अपने दम पर मुझे करना ही पड़ेगा
दुर्भाग्य का बादल अगर इससे छंट जाता है
तो अन्तिम दम तक कोई क्यों नहीं लड़ेगा

Language: Hindi
1 Like · 34 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Paras Nath Jha
View all

You may also like these posts

"रिश्तों में खटास पड रही है ll
पूर्वार्थ
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
कुछ अपनें ऐसे होते हैं,
कुछ अपनें ऐसे होते हैं,
Yogendra Chaturwedi
रुदंन करता पेड़
रुदंन करता पेड़
Dr. Mulla Adam Ali
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
ज़ब्त को जितना आज़माया है ।
ज़ब्त को जितना आज़माया है ।
Dr fauzia Naseem shad
*कलम उनकी भी गाथा लिख*
*कलम उनकी भी गाथा लिख*
Mukta Rashmi
जिंदगी का भरोसा कहां
जिंदगी का भरोसा कहां
Surinder blackpen
बरखा रानी
बरखा रानी
डिजेन्द्र कुर्रे
4185💐 *पूर्णिका* 💐
4185💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
🙏 गुरु चरणों की धूल 🙏
🙏 गुरु चरणों की धूल 🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"रेत के जैसे"
Dr. Kishan tandon kranti
शीर्षक: ख्याल
शीर्षक: ख्याल
Harminder Kaur
वायु प्रदूषण रहित बनाओ।
वायु प्रदूषण रहित बनाओ।
Buddha Prakash
अयोध्या धाम
अयोध्या धाम
विजय कुमार अग्रवाल
वही पुरानी बोतलें, .. वही पुराना जाम.
वही पुरानी बोतलें, .. वही पुराना जाम.
RAMESH SHARMA
जिसे सपने में देखा था
जिसे सपने में देखा था
Sunny kumar kabira
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
Johnny Ahmed 'क़ैस'
#तेवरी-
#तेवरी-
*प्रणय*
बंदरबाँट
बंदरबाँट
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
चाँद की शुभ्र ज्योत्सना
चाँद की शुभ्र ज्योत्सना
हिमांशु Kulshrestha
” माता-पिता और गुरु में फर्क “
” माता-पिता और गुरु में फर्क “
ज्योति
- क्या कहना -
- क्या कहना -
bharat gehlot
गीत मौसम का
गीत मौसम का
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
यह मूर्दों की बस्ती है
यह मूर्दों की बस्ती है
Shekhar Chandra Mitra
सच
सच
Neeraj Kumar Agarwal
आएं वृंदावन धाम
आएं वृंदावन धाम
Seema gupta,Alwar
*Relish the Years*
*Relish the Years*
Poonam Matia
बाबा भोले भंडारी भजन रचनाकार अरविंद भारद्वाज
बाबा भोले भंडारी भजन रचनाकार अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
उसने  कहा जो कुछ  तो   पहले वो
उसने कहा जो कुछ तो पहले वो
shabina. Naaz
Loading...