Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Apr 2024 · 2 min read

मेरा नौकरी से निलंबन?

जय जोहार सगाजनों
“एक बाप निलंबित होकर घर पहुंचा तो घर में उपस्थित सभी समझदार सदस्य उसे उसकी गलती का अहसास करवा कर डांट रहे थे, फटकार लगा रहे थे,हे भगवान अब आगे क्या हुआ? आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था वैसा नहीं करना चाहिए था? पहले भी कितनी बार समझाया समझ कहा पड़ती है आपको? पुरा घर परिवार तुम्हारे भरोसे चल रहा है? आधी तनख्वाह आयेगी अब किस्त कैसे भरेंगे? क्या खायेंगे? कैसे गुजारा होगा? वहां नहीं जाना था क्यों गये? वगैरह – वगैरह! घर में ऐसा माहौल था जैसे कोई मर गया हो? सभी ऐसे दु:खी थे जैसे मुझे नौकरी से बर्खास्त कर दिया हो ? शिकायतकर्ता द्वारा मुझ पर जो आरोप लगाएं गये हो वह सब सच हो मैं गलत हूं। कुल मिलाकर मेरे तनाव का प्रतिशत अचानक सबने बड़ा दिया।”
लेकिन इसी बीच परिवार के सभी नकारात्मक सोच वाले लोगों के बीच एक सकारात्मक सोच वाली मेरी जान मेरी बेटी वहां पर उपस्थित थीं जो जमीन पर बिछी हुई दरी पर लेटकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी,उसको मात्र छः महीने ही हुए इस संसार में। मैंने जैसे ही उसे अपनी गोद में उठाया वह खिलखिला उठी और हंसने लगी, उसकी हंसी देखकर मैं अपने आंसू नहीं रोक पाया, सब लोग आश्चर्यचकित थे कि हमने इतना कुछ कहा इसे कुछ फर्क नहीं पड़ा लेकिन जैसे ही गोद में बेटी आई वह रो दिया। मेरी बेटी को कुछ पता ही नहीं कि उसका बाप कितना तनावपूर्ण स्थिति में है। उसको मेरे निलंबन से कोई मतलब ही नहीं था। उसे समय सिर्फ उसको अपने पिता का प्यार दिखाई दे रहा था।
कितना अच्छा होता ना हम समझदार नहीं होते? आपकी जिंदगी में चाहे जितना तनाव हो लेकिन जैसे ही बच्चे गोद में आते हैं आप सारा तनाव भूल जाते हो।”
: राकेश देवडे़ बिरसावादी

Language: Hindi
147 Views

You may also like these posts

#आदरांजलि
#आदरांजलि
*प्रणय*
चिंतन
चिंतन
Rambali Mishra
*मजदूर*
*मजदूर*
Dushyant Kumar
रहते हैं बूढ़े जहाँ ,घर के शिखर-समान(कुंडलिया)
रहते हैं बूढ़े जहाँ ,घर के शिखर-समान(कुंडलिया)
Ravi Prakash
"ओखली"
Dr. Kishan tandon kranti
रमेशराज की वर्णिक एवं लघु छंदों में 16 तेवरियाँ
रमेशराज की वर्णिक एवं लघु छंदों में 16 तेवरियाँ
कवि रमेशराज
श्यामा चिड़िया
श्यामा चिड़िया
जगदीश शर्मा सहज
एक अधूरी दास्तां
एक अधूरी दास्तां
Sunil Maheshwari
स्वतंत्रता दिवस
स्वतंत्रता दिवस
Ayushi Verma
सरसी छंद
सरसी छंद
seema sharma
*** बिंदु और परिधि....!!! ***
*** बिंदु और परिधि....!!! ***
VEDANTA PATEL
गीत- तेरी मुस्क़ान मरहम से...
गीत- तेरी मुस्क़ान मरहम से...
आर.एस. 'प्रीतम'
वृक्ष महिमा
वृक्ष महिमा
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
देख कर चल मेरे भाई
देख कर चल मेरे भाई
Radha Bablu mishra
एक छोटी सी मुस्कान के साथ आगे कदम बढाते है
एक छोटी सी मुस्कान के साथ आगे कदम बढाते है
Karuna Goswami
वंचित है
वंचित है
surenderpal vaidya
“आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अँधा बना देगी”- गांधी जी
“आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अँधा बना देगी”- गांधी जी
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
पत्थर भी रोता है
पत्थर भी रोता है
Kirtika Namdev
कोल्हू का बैल
कोल्हू का बैल
Sudhir srivastava
दिल से दिलदार को मिलते हुए देखे हैं बहुत
दिल से दिलदार को मिलते हुए देखे हैं बहुत
Sarfaraz Ahmed Aasee
🌺🌻 *गुरु चरणों की धूल*🌻🌺
🌺🌻 *गुरु चरणों की धूल*🌻🌺
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
फिर किस मोड़ पे मिलेंगे बिछड़कर हम दोनों,
फिर किस मोड़ पे मिलेंगे बिछड़कर हम दोनों,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
संवाद
संवाद
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
“जब से विराजे श्रीराम,
“जब से विराजे श्रीराम,
Dr. Vaishali Verma
मैने देखा नहीं है कोई चाँद
मैने देखा नहीं है कोई चाँद
VINOD CHAUHAN
3262.*पूर्णिका*
3262.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वह है बहन।
वह है बहन।
Satish Srijan
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हर कदम बिखरे थे हजारों रंग,
हर कदम बिखरे थे हजारों रंग,
Kanchan Alok Malu
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
Manisha Manjari
Loading...