यार होली मनाने चले आइए
212 212 212 212
गुजरे कितने जमाने चले आइए
यार होली मनाने चले आइए।
यारों फुरसत नहीं मिलने वाली यहां
यूं किसी भी बहाने चले आइए।
खाली लगता है मौसम बहारों का अब
जिंदगी को सजाने चले आइए।
बाग में बौर आने लगे हैं सजन
सुनने बुलबुल तराने चले आइए ।
पहले सी अब मुहल्ले में रौनक नहीं
सबको हंसने हंसाने चले आइए।
नूर फातिमा खातून ‘नूरी ”
जिला -कुशीनगर