Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jun 2024 · 1 min read

मुझे साहित्य का ज्यादा ज्ञान नहीं है। न ही साहित्य मेरा विषय

मुझे साहित्य का ज्यादा ज्ञान नहीं है। न ही साहित्य मेरा विषय है।
मैं तो बस लिख रही हूं। क्योंकि लिखना मुझे पसंद है। इसीलिए मेरे लेखन में त्रुटियां तो होंगी जो शायद मुझे दिखाई न दें। आपको अगर शब्दों का मर्म समझ आता है, तो मेरी जीत है अन्यथा यह मेरी हार है।
_ सोनम पुनीत दुबे

104 Views
Books from Sonam Puneet Dubey
View all

You may also like these posts

स्वाभिमान
स्वाभिमान
Shyam Sundar Subramanian
तो मैं उसी का
तो मैं उसी का
Anis Shah
सुना था कि मर जाती दुनिया महोबत मे पर मैं तो जिंदा था।
सुना था कि मर जाती दुनिया महोबत मे पर मैं तो जिंदा था।
Nitesh Chauhan
ज़िम्मेदारियाॅं अभी बहुत ही बची हैं,
ज़िम्मेदारियाॅं अभी बहुत ही बची हैं,
Ajit Kumar "Karn"
हे ब्रह्माचारिणी जग की शक्ति
हे ब्रह्माचारिणी जग की शक्ति
रुपेश कुमार
*एक मां की कलम से*
*एक मां की कलम से*
Dr. Priya Gupta
हंस भेस में आजकल,
हंस भेस में आजकल,
sushil sarna
बस यूँ ही
बस यूँ ही
sheema anmol
बात
बात
Shriyansh Gupta
तम्बाकू को अलविदा
तम्बाकू को अलविदा
surenderpal vaidya
क्या सीत्कार से पैदा हुए चीत्कार का नाम हिंदीग़ज़ल है?
क्या सीत्कार से पैदा हुए चीत्कार का नाम हिंदीग़ज़ल है?
कवि रमेशराज
खोकर अपनों को यह जाना।
खोकर अपनों को यह जाना।
लक्ष्मी सिंह
" सितम "
Dr. Kishan tandon kranti
क्या पता मैं शून्य न हो जाऊं
क्या पता मैं शून्य न हो जाऊं
The_dk_poetry
-संयुक्त परिवार अब कही रहा नही -
-संयुक्त परिवार अब कही रहा नही -
bharat gehlot
सुबह की चाय हम सभी पीते हैं
सुबह की चाय हम सभी पीते हैं
Neeraj Agarwal
जाने कब दुनियां के वासी चैन से रह पाएंगे।
जाने कब दुनियां के वासी चैन से रह पाएंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
दंश
दंश
Sudhir srivastava
मेरा देश
मेरा देश
Santosh kumar Miri
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
इश्क का कारोबार
इश्क का कारोबार
dr rajmati Surana
घर घर ऐसे दीप जले
घर घर ऐसे दीप जले
gurudeenverma198
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
मैं खुश होना भूल गया
मैं खुश होना भूल गया
शेखर सिंह
4728.*पूर्णिका*
4728.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हास्यगीत - ओनु लुलुआ के
हास्यगीत - ओनु लुलुआ के
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ख़ामोशी फिर चीख़ पड़ी थी
ख़ामोशी फिर चीख़ पड़ी थी
अरशद रसूल बदायूंनी
डर डर जीना बंद परिंदे..!
डर डर जीना बंद परिंदे..!
पंकज परिंदा
विषय-अर्ध भगीरथ।
विषय-अर्ध भगीरथ।
Priya princess panwar
बिन बोले सब बयान हो जाता है
बिन बोले सब बयान हो जाता है
रुचि शर्मा
Loading...