Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Nov 2023 · 1 min read

विषय-अर्ध भगीरथ।

विषय-अर्ध भगीरथ।
विद्या-काव्य(कविता)
रचनाकार-प्रिया प्रिंसेस पवाँर

महान भगीरथ हुए, प्राचीन काल में।
पूर्वजों के पाप मिटाए,उस काल में।

पूर्वजों के पाप की सारी, बुराइयाँ सुधार दी।
पाप धोकर उनके,धरती पर गंगा उतार दी।

गंगा लाए धरा पर; भगीरथ बहुत पवित्र,महान थे।
किया मनुष्य जीवन सार्थक,सार्थकता की पहचान थे।

अधर्मी मनुष्यों के घर, मैंने जन्म लिया।
मैंने भी;अपनो के पाप मिटाने का,करम लिया।

लेकिन वो था पुण्य युग,फिर भी उसमें कुछ अशुद्ध था।
अब तो पहले ही पाप युग,फिर मिलेगा कैसे कुछ शुद्ध?

महान भगीरथ वीर थे;धीर थे,सह गए सब पीर थे।
मैं भी बनी दुःख-भोगी सम्पूर्ण जीवन,सूखे न मेरे नीर थे।

महान भगीरथ ने पूर्वजों को भी सन्त कर दिया।
होने वाले कुअन्त को सुअन्त कर दिया।

भगीरथ थे सुदृढ़ मनुष्य महान।
और प्रिया है कोमल इंसान।

जितनी थी समर्थता,मैंने उतना कार्यवास लिया।
सम्पूर्ण जीवन बनाकर मरण,भागीरथी प्रयास किया।

पर अब न कोई शक्ति ,मुझे ह्रदय से प्राप्त होती है।
बस अब मेरी सहनशक्ति की सीमा,समाप्त होती है।

जितनी जीवन आयु बिताई।
उतना भागीरथी-रूप धरती आई।

पर अब न और ये रूप धर पाऊंगी।
चाहे भले ही न कहलाऊं; सम्पूर्ण भगीरथ…
पर,अर्ध भगीरथ तो कहलाऊंगी।

प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक
द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78
सर्वाधिकार सुरक्षित

3 Likes · 101 Views

You may also like these posts

बड़े दिनों से चढ़ा है तेरे प्यार का नसा।
बड़े दिनों से चढ़ा है तेरे प्यार का नसा।
Diwakar Mahto
मिलन स्थल
मिलन स्थल
Meenakshi Madhur
बोलो_क्या_तुम_बोल_रहे_हो?
बोलो_क्या_तुम_बोल_रहे_हो?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
- दिल से जुड़ा रास्ता -
- दिल से जुड़ा रास्ता -
bharat gehlot
मौन
मौन
लक्ष्मी सिंह
तुम्हारी फ़िक्र सच्ची हो...
तुम्हारी फ़िक्र सच्ची हो...
आर.एस. 'प्रीतम'
रिश्तों में जब स्वार्थ का,करता गणित प्रवेश
रिश्तों में जब स्वार्थ का,करता गणित प्रवेश
RAMESH SHARMA
ख्वाब यहाँ पलतें है...
ख्वाब यहाँ पलतें है...
Manisha Wandhare
असल सूँ साबको
असल सूँ साबको
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
सच्ची लगन
सच्ची लगन
Krishna Manshi
अपनी अपनी बहन के घर भी आया जाया करो क्योंकि माता-पिता के बाद
अपनी अपनी बहन के घर भी आया जाया करो क्योंकि माता-पिता के बाद
Ranjeet kumar patre
क्या लिखते हो ?
क्या लिखते हो ?
Atul "Krishn"
You never come
You never come
VINOD CHAUHAN
आये जबहिं चुनाव
आये जबहिं चुनाव
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
तुम नहीं बदले___
तुम नहीं बदले___
Rajesh vyas
पुरुष विमर्श
पुरुष विमर्श
Indu Singh
अपनी क़िस्मत से मात खाते हैं ,
अपनी क़िस्मत से मात खाते हैं ,
Dr fauzia Naseem shad
4338.*पूर्णिका*
4338.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
“दीपावली की शुभकामना”
“दीपावली की शुभकामना”
DrLakshman Jha Parimal
*पेड़*
*पेड़*
Dushyant Kumar
कुछ नया लिखना है आज
कुछ नया लिखना है आज
करन ''केसरा''
" रंग "
Dr. Kishan tandon kranti
मंजिल तक पहुँचाना प्रिये
मंजिल तक पहुँचाना प्रिये
Pratibha Pandey
मुक्तक
मुक्तक
सतीश पाण्डेय
सबसे आसान है बहाने बनाकर खुद को समझाना। अपनी गलतियों पर खुद
सबसे आसान है बहाने बनाकर खुद को समझाना। अपनी गलतियों पर खुद
पूर्वार्थ
आस्था का महापर्व:छठ
आस्था का महापर्व:छठ
manorath maharaj
"टूट कर बिखर जाउंगी"
रीतू सिंह
विदेह देस से ।
विदेह देस से ।
श्रीहर्ष आचार्य
बात बिगड़ी थी मगर बात संभल सकती थी
बात बिगड़ी थी मगर बात संभल सकती थी
Shivkumar Bilagrami
सुना हूं किसी के दबाव ने तेरे स्वभाव को बदल दिया
सुना हूं किसी के दबाव ने तेरे स्वभाव को बदल दिया
Keshav kishor Kumar
Loading...