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31 Oct 2024 · 1 min read

घर घर ऐसे दीप जले

दीप जले, दीप जले, घर घर ऐसे दीप जले।
रोशन हो दीपों से हर घर, घर घर ऐसे दीप जले।।
दीप जले, दीप जले——––———।।

दीपों की यह सुंदर पंक्ति, देखो कितनी निराली है।
जगमग दीपों की यह माला, कहलाती दिवाली है।।
दीपों के इस उत्सव में, शामिल सबको करते चले।
दीप जले, दीप जले—————–।।

चमक रहा है चेहरा देखो, बच्चों- बूढों- जवानों का।
कम नहीं है उत्साह आज, मजदूर और किसानों का।।
रहे हमेशा इन सभी के, रोशन चेहरे ऐसे खिले।
दीप जले, दीप जले——————–।।

अपने वतन में नहीं रहे, नफरत- ईर्ष्या का अंधियारा।
रोशन रहे दीप मानवता का, फूले- फले यहाँ भाईचारा।।
जाति- धर्म का भेद मिटाकर, सबसे प्रेम से गले मिले।
दीप जले, दीप जले———————।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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