~हृदय पर दोहे ~

~हृदय पर दोहे ~
हृदय वक्ष अन्दर बसे, करें तंत्र संचार।
जैसा डालें ज्ञान हम, वैसे निकले सार।।
हृदय जगह हरि वास का, चाहे सुन्दर भाव।
इसमें डालें गंदगी, निश्चित डूबे नाव।।
किया हृदय से काम जो, पाता सही मुकाम।
यही जगत का सांच जो, आँखें देखे आम।।
अपनी पहुंच बढ़ाइये , जहां हृदय का ठौर।
पैठ बढ़ा जो हृदय में, निखरोगे तुम और।।
प्यासा हृदय का हरदम, आप रखें संज्ञान।
यह साधन है भक्ति का, इससे प्राणायाम।।
-‘प्यासा’