इस तरह कब तक दरिंदों को बचाया जाएगा।
विरह व्यथा
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
*अंतर्मन में राम जी, रहिए सदा विराज (कुंडलिया)*
ज़िंदगी है गीत इसको गुनगुनाना चाहिए
रमेशराज की जनकछन्द में तेवरियाँ
ग़म-ख़ुशी सब परख के चुप था वो- संदीप ठाकुर
प्रेम एक ऐसा मार्मिक स्पर्श है,
लुट गया है मक़ान किश्तों में।
"धन-दौलत" इंसान को इंसान से दूर करवाता है!
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
अपनी आवाज में गीत गाना तेरा
अंधेरों में कटी है जिंदगी अब उजालों से क्या
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
डमरू की डम डम होगी, चारो ओर अग्नि प्रहार।
This generation was full of gorgeous smiles and sorrowful ey
🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
सूखते ही ख़्याल की डाली ,
हमने हर रिश्ते को अपना माना
संजय ने धृतराष्ट्र से कहा -
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम