Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2024 · 1 min read

खुद से ही प्यार करने लगी हूं

थाम लिया है मैंने हाथ अपना,
अपने साथ चलने लगी हूं।

मरती थी किसी पर पहले मगर,
अब खुद पे ही मरने लगी हूं।

न कोई आएगा मुझसे मिलने इसलिए आज इंतजार अपना करने लगी हूं।

आइना देखकर सजती थी उनके लिए,
पर अब यूं ही संवरने लगी हूं।

बहुत कर ली बातें सबसे अपने दिल की,
अब खुद से ही अपनी बात करने लगी हूं।

मोहब्बत थी मुझे कभी किसी से लेकिन,
अब खुद से ही प्यार करने लगी हूं।

60 Views

You may also like these posts

धडकन तडपन भारी भारी है ।
धडकन तडपन भारी भारी है ।
अरविन्द व्यास
मोहब्बत की
मोहब्बत की
हिमांशु Kulshrestha
होली मुबारक
होली मुबारक
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
है अब मनुजता कहाँ?
है अब मनुजता कहाँ?
सोनू हंस
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
2910.*पूर्णिका*
2910.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सर्द
सर्द
Mamta Rani
आपसा हम जो
आपसा हम जो
Dr fauzia Naseem shad
*वृद्धाश्रम*
*वृद्धाश्रम*
Priyank Upadhyay
आज दिवस है  इश्क का, जी भर कर लो प्यार ।
आज दिवस है इश्क का, जी भर कर लो प्यार ।
sushil sarna
" हकीकत "
Dr. Kishan tandon kranti
दुर्दशा
दुर्दशा
RAMESH Kumar
वो जुगनुओं से भी गुलज़ार हुआ करते हैं ।
वो जुगनुओं से भी गुलज़ार हुआ करते हैं ।
Phool gufran
आंखों पर पट्टी, होठों पर मौन जड़ गया ।
आंखों पर पट्टी, होठों पर मौन जड़ गया ।
TAMANNA BILASPURI
भोर
भोर
Kanchan Khanna
बादलों से बिछड़ कर बूंदे भी रोई होगी
बादलों से बिछड़ कर बूंदे भी रोई होगी
Rekha khichi
पितृ पक्ष व् तर्पण।
पितृ पक्ष व् तर्पण।
Shashi kala vyas
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
उर्मिल
उर्मिल
Rambali Mishra
** हूं रूख मरुधरा रो **
** हूं रूख मरुधरा रो **
भूरचन्द जयपाल
निर्गुण सगुण भेद
निर्गुण सगुण भेद
मनोज कर्ण
मैं सत्य सनातन का साक्षी
मैं सत्य सनातन का साक्षी
Mohan Pandey
सरफरोश
सरफरोश
Shekhar Chandra Mitra
दिव्य प्रेम
दिव्य प्रेम
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
आजाद हिंदुस्तान में
आजाद हिंदुस्तान में
gurudeenverma198
चिल्लाने के लिए ताकत की जरूरत नहीं पड़ती,
चिल्लाने के लिए ताकत की जरूरत नहीं पड़ती,
शेखर सिंह
Embers Of Regret
Embers Of Regret
Vedha Singh
सत्य कहाँ ?
सत्य कहाँ ?
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
DR arun कुमार shastri
DR arun कुमार shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सुनने की कला आपको स्वयं तक पहुंचा सकता है।
सुनने की कला आपको स्वयं तक पहुंचा सकता है।
Ravikesh Jha
Loading...