*अमर बलिदानी वीर बैकुंठ शुक्ल*

अमर बलिदानी वीर बैकुंठ शुक्ल
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वीर बैकुंठ शुक्ल का बलिदान अपने आप में कोई अकेला बलिदान नहीं था। यह बलिदानों की गौरवपूर्ण श्रृंखला की एक कड़ी था।
इसकी शुरुआत लाला लाजपत राय पर लाठियों के प्रहार से हुई थी। इसमें लाला लाजपत राय का बलिदान हुआ।
लाला लाजपत राय के बलिदान का बदला लेने के लिए भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने अंग्रेज अधिकारी सांडर्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी। तीनों देशभक्त फांसी के फंदे पर चढ़ाए गए।
अब इतिहास का मोड़ देखिए! जिसकी गवाही पर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी की सजा सुनाई गई, उस राष्ट्रद्रोही फणींद्र नाथ घोष को वीर बैकुंठ शुक्ल ने अपने फरसे के प्रहार से यमलोक पहुंचा दिया। परिणाम पहले से पता था। मात्र सत्ताईस वर्ष की आयु में हॅंसते हुए फॉंसी के फंदे पर वीर बैकुंठ शुक्ल चढ़ गए।
इस समूची योजना में वीर बैकुंठ शुक्ल की पत्नी राधिका की ओजस्वी सहभागिता रही। न केवल पति की मृत्यु तक बल्कि पति की स्मृति को मन में बसा कर 1934 से 2004 तक वह मानो कठोर कारावास का दंड ही भुगत रही थीं ।
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नोट: वीर बैकुंठ शुक्ल और उनकी पत्नी राधिका की जीवन-गाथा को मुरादाबाद निवासी तथा स्वतंत्रता सेनानी वंशज श्री धवल दीक्षित जी ने अपनी फेसबुक के माध्यम से प्रकाशित किया है। उसी के आधार पर उपरोक्त संक्षिप्त वृतांत तैयार हो सका। धवल दीक्षित जी ने दोनों स्वतंत्रता सेनानी दंपति के चित्र एआई की सहायता से सुधार कर भी पाठकों के सामने रखें। उनके परिश्रम और शहीदों के प्रति समर्पित भाव की जितनी भी प्रशंसा की जाए,कम है।
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रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451