15–🌸जानेवाले 🌸

.15– कविता
💐 जाने वाले…. 🙏💐
… 🔸स्मृति शेष 🔸…
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जाना था मैंने, कि एक दिन यूँ जाना होगा
पर किसे, कहाँ, कब, कैसे नहीं जाना था.
ऐसे चले जाओगे इतनी दूर , नहीं माना था सोचते ही मन बार बार घबराता था
एक अजीब सा शून्य घेर लेता है ..
विचार, सब खो गये बिगड़े हालातों में.
ना सोचना है ना जानना है अब और
बाकी नहीं रहा कुछ सिवाय पछतावे के
क्या सोचना ऐसा होता -तो यूँ होता
वैसा होता तो और क्या कर पाते ?
फिर, वो कर पाते तो शायद ये नहीं होता.
इस होने, ना होने से अब क्या होना है?
वो चले गए दूर,ना रोक सका कोई
क्या रोक सका कोई, किसी के जाने को ?
सांसें थम जाती है जीते जी मरने जैसी
ना हरकत है कोई, ना भाव चेहरे पर
इस दुनिया से दूर कोई एक और ठौर होगा.
मेरी आँखों से दूर लेकिन मेरे मन में होगा.
छूट गयीं सब आशा -विश्वास उसके जाने से
रह गया है,सिर्फ मृदु स्पर्श तेरा मेरे हाथ
जाओ !अब तुम को जहाँ भी जाना है
साथ मेरी यादों में भी लेकिन सदा रहना है.
ना छूट सकेगी कभी नातों की डोर.
आना होगा तुम्हें,मेरे लिए हर बार.
बार बार।
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.. महिमा शुक्ला
इंदौर..