Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 1 min read

जीवंतता

“जीवंतता यानि निर्बाध निरंतरता”

नदियों में लहरें उठती हैं, चलती हैं बहती हैं तो वो गतिमान रहती हैं

उनके बहने से, रास्ता बनता है और नदियां भी कांतिमान रहती हैं

नई धाराओं को जगह मिलती है अनंत यात्रा पर निकलने के लिए

कहने को लोग कह देते हैं, नदी चली है, सागर से मिलने के लिए

प्रश्न तब खड़ा होता है अस्तित्व का, जब ये धाराएं, बांधी जाती हैं

जब दोहन करने इन धाराओं की दिशा वेग व दशा बदली जाती हैं

तब इन्हें छुड़ाने, कलेजा फट कर, बादलों से बरसता है आकाश का

पाट बंधारे तोड़ उफन पड़ती हैं नदियां, बिगुल बजता है विनाश का

इन धाराओं में, हिलोरे लेते जीवन की परिणिति, निर्बाध बहने में है

प्रकृति का नियम है, जीवंतता, रुकने या रोकने में नहीं, चलने में है

~ नितिन जोधपुरी “छीण”

1 Like · 107 Views

You may also like these posts

"अनैतिक कृत्य" की ज़िम्मेदारी "नैतिक" कैसे हो सकती है प्रधान
*प्रणय*
मैं मुहब्बत के काबिल नहीं हूं।
मैं मुहब्बत के काबिल नहीं हूं।
दीपक झा रुद्रा
बंधनों के बेड़ियों में ना जकड़ो अपने बुजुर्गों को ,
बंधनों के बेड़ियों में ना जकड़ो अपने बुजुर्गों को ,
DrLakshman Jha Parimal
ऎसी दिवाली हो
ऎसी दिवाली हो
Shalini Mishra Tiwari
भवप्रीता भवानी अरज सुनियौ...
भवप्रीता भवानी अरज सुनियौ...
निरुपमा
दहेज
दहेज
Kanchan verma
" सूत्र "
Dr. Kishan tandon kranti
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
4478.*पूर्णिका*
4478.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"कुछ खास हुआ"
Lohit Tamta
*यह कैसा न्याय*
*यह कैसा न्याय*
ABHA PANDEY
देश हमारा बदल रहा है /
देश हमारा बदल रहा है /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
हास्य - रायते का चक्कर
हास्य - रायते का चक्कर
Sudhir srivastava
ख़ुद से अपना हाथ छुड़ा कर - संदीप ठाकुर
ख़ुद से अपना हाथ छुड़ा कर - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
हम से मोहबत हों तो वक़्त रहते बता देना|गैरो से जादा बात नही
हम से मोहबत हों तो वक़्त रहते बता देना|गैरो से जादा बात नही
Nitesh Chauhan
हमारे गीत ये सुनकर
हमारे गीत ये सुनकर
gurudeenverma198
मुकाबला करना ही जरूरी नहीं......
मुकाबला करना ही जरूरी नहीं......
shabina. Naaz
मेरा आशियाना
मेरा आशियाना
Ritu Asooja
विषय:आदमी सड़क पर भूखे पड़े हैं।
विषय:आदमी सड़क पर भूखे पड़े हैं।
Priya princess panwar
आदत न डाल
आदत न डाल
Dr fauzia Naseem shad
पाप्पा की गुड़िया.
पाप्पा की गुड़िया.
Heera S
आस्था स्वयं के विनाश का कारण होती है
आस्था स्वयं के विनाश का कारण होती है
प्रेमदास वसु सुरेखा
आवारग़ी भी ज़रूरी है ज़िंदगी बसर करने को,
आवारग़ी भी ज़रूरी है ज़िंदगी बसर करने को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बीत गया सो बीत गया...
बीत गया सो बीत गया...
डॉ.सीमा अग्रवाल
*दिल चाहता है*
*दिल चाहता है*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रोटी
रोटी
लक्ष्मी सिंह
पेड़ कटता जा रहा झूठे विकासों में ।
पेड़ कटता जा रहा झूठे विकासों में ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
"गुमनाम जिन्दगी ”
Pushpraj Anant
जज्बात लिख रहा हूॅ॑
जज्बात लिख रहा हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
*नारी के सोलह श्रृंगार*
*नारी के सोलह श्रृंगार*
Dr. Vaishali Verma
Loading...