राजयोगमहागीता:: ध्यान निराकार से तो सुगम साकारकर: जितेन्द्र कमलआनंद( पोस्ट५९)
प्रभु प्रणाम
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ध्यान निराकार से तो सुगम साकार कर ,
ह्रदय में सुभावना मोक्ष की जगाइए ।
देवकी के वत्स , मॉ यशोदा के दुलारे रहे,
कृष्णकी सद्भावना , सुधारणा धराइए ।
ध्यान – घाट बैठ बैठ , नित्य सुमिरन कर ,
अंतस में ध्यान परमब्रह्म का लगाइए ।
परम आश्रय सच्चिदानंद – सानिध्य से जो-
मिले वो आनंद रस रस बरसाइए ।।
—– जितेंद्रकमलआनंद