Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Aug 2024 · 3 min read

जीवन में जागरूकता कैसे लाएँ। – रविकेश झा

नमस्कार दोस्तों आज बात कर रहे हैं जागरूकता की जागरूकता क्या है और इसे अपने जीवन में कैसे उतारें।जागरूकता एक बुद्धि का अंग है और इसे जानने से ये उपलब्ध होता है, लगातार जानने से किसी विषय पर लगातार केंद्रित करने से जागरूकता आ जाता है। जो हमें जानने में मदद करता है, यह अच्छा मित्र हो सकता है और इसके साथ आप जटिल से जटिल प्रक्रिया में आप आनंदित महसूस करेंगे। तो चलिए बात करते हैं की कैसे अपने जीवन में जागरूकता लाएं।

हम प्रतिदिन जीवन जी रहे हैं, क्या हम आनंदित हो रहे हैं क्या हम जीवंत है, क्या हम जीवन जीने में उत्सुक हैं। इसीलिए हमें थोड़ा जीवन में एकाग्रता व कृतज्ञता लाना होगा, देखना होगा जागना होगा। क्या हम प्रसन्न होकर जी रहे हैं। तो इस सबके लिए जागरूकता और स्वयं को रूपांतरण करना होगा। जागरूकता में ही जीवन का पूर्ण सार है। जागरूकता एक पूर्ण जीवन की कुंजी है।

यह हमें वर्तमान में रहने और अपने परिधि से जुड़े रहने में मदद करता है। जागरूक रहकर, हम बेहतर निर्णय ले सकते हैं और अपनी जीवन में सुधार ला सकते हैं। बहुत से लोग जागरूक रहने में संघर्ष करते हैं। वे दैनिक दिनचर्या में फंस जाते हैं और वर्तमान में जीना भूल जाते हैं। बहुत तो जानते तक भी नहीं की हम वर्तमान में रह सकते हैं।

आपके जीवन में अधिक जागरूकता लाने के लिए यहां कुछ रास्ता दिए गए हैं। ध्यान का एक अंग है जो हमें जागरूकता का राह पर ला सकता है। Mindfulness से हम शुरुआत करें Mindfulness वर्तमान क्षण पर ध्यान देने का अभ्यास है। इसमें बिना किसी निर्णय के आपके विचारों और भावनाओं का अवलोकन करना शामिल है।

आप हर दिन कुछ मिनट माइंडफुलनेस एक्सरसाइज के लिए स्वयं को समर्पित करके शुरुआत कर सकते हैं। स्वयं को समर्पण करना होगा। थोड़ा डूबना होगा, तभी हम प्रेमपूर्ण और होश में आ सकते हैं। एक शांत जगह ढूंढें, आराम से बैठें और अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। अपने शरीर में होने वाली संवेदनाओं और अपने आस-पास की आवाज़ों पर ध्यान दें।

यह सरल अभ्यास आपको अपने आंतरिक और बाहरी दुनिया के बारे में अधिक जागरूक बनने में मदद कर सकता है। यह नियमित रूप से. प्रतिदिन कुछ मिनटों का ध्यान भी आपकी जागरूकता के स्तर में महत्वपूर्ण अंतर ला सकता है। आत्मचिंतन में संलग्न रहें आत्म-चिंतन जागरूकता बढ़ाने का एक और तरीका है। अपने विचारों, कार्यों और अनुभवों पर विचार करने के लिए प्रत्येक दिन कुछ समय निकालें। अपने आप से ऐसे प्रश्न पूछें, “मैंने आज क्या सीखा?” मैं क्यों सीखा रहा हूं? या “मुझे उस स्थिति में कैसा महसूस हुआ? या अन्य अपने विचारों को किसी कॉपी में लिखें।

यह आपको अपनी प्रगति को ट्रैक करने और अपने व्यवहार और भावनाओं में गहरी अंतर्दृष्टि प्राप्त करने की अनुमति देता है। प्रकृति पार्क से जुड़ें, पहाड़ों में घूमें, या बस अपने बगीचे में बैठें। अपने आस-पास की सुंदरता का निरीक्षण करें, प्रकृति की आवाज़ें सुनें और ताज़ी हवा में साँस लें। प्रकृति के साथ यह जुड़ाव आपको अधिक जमीनी और जागरूक महसूस करने में मदद कर सकता है।

आज के डिजिटल युग में, ध्यान भटकाने वाली चीज़ें हर जगह मौजूद हैं। जागरूकता बढ़ाने के लिए, इन सब चीजों को सीमित करना आवश्यक है। अपने लिए सीमाएँ निर्धारित करें और एक व्याकुलता-मुक्त वातावरण बनाएँ। सूचनाएं बंद करें, ईमेल और सोशल मीडिया को देखने के लिए विशिष्ट समय निर्धारित करें और एक समय में एक ही कार्य पर ध्यान केंद्रित करें। इससे आपको अपनी गतिविधियों के प्रति अधिक उपस्थित और जागरूक रहने में मदद मिलेगी।

कृतज्ञता का अभ्यास करें कृतज्ञता एक शक्तिशाली अभ्यास है जो जागरूकता बढ़ा सकता है। अपने जीवन के सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करके, आप अपना ध्यान उस चीज़ पर केंद्रित कर सकते हैं जिसकी आपके पास कमी है। प्रत्येक दिन, उन चीज़ों को स्वीकार करने के लिए कुछ समय निकालें जिनके लिए आप आभारी हैं। यह सरल अभ्यास आपको वर्तमान में बने रहने और जीवन में छोटी-छोटी खुशियों की सराहना करने में मदद कर सकता है।

इन चरणों को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करने से आपको अपने जीवन में अधिक जागरूकता लाने में मदद मिल सकती है। याद रखें, जागरूकता एक यात्रा है, मंजिल नहीं। अभ्यास करते रहें और वर्तमान क्षण के प्रति सचेत रहें। और आनंदित होते रहें। ध्यान और प्रेम को मित्र बनाएं। और 24 घंटे में से कम से कम 1 घंटा भी समय निकाल कर भीतर जाने की कष्ट करें।
धन्यवाद। 🙏❤️
रविकेश झा।

282 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

उसकी गलियों में कदम जब भी पड़े थे मेरे।
उसकी गलियों में कदम जब भी पड़े थे मेरे।
Phool gufran
कैसे कह दूँ ?
कैसे कह दूँ ?
Buddha Prakash
विषय-किस्मत की कृपा।
विषय-किस्मत की कृपा।
Priya princess panwar
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
SATPAL CHAUHAN
जिन्हें बरसात की आदत हो वो बारिश से भयभीत नहीं होते, और
जिन्हें बरसात की आदत हो वो बारिश से भयभीत नहीं होते, और
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
कलम मेरी साथिन
कलम मेरी साथिन
Chitra Bisht
कैद परिंदें
कैद परिंदें
संतोष सोनी 'तोषी'
ज़िन्दगी का यकीन कैसे करें,
ज़िन्दगी का यकीन कैसे करें,
Dr fauzia Naseem shad
कोई ग़लती करे या सही...
कोई ग़लती करे या सही...
Ajit Kumar "Karn"
- रातो की खामोशी -
- रातो की खामोशी -
bharat gehlot
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
4731.*पूर्णिका*
4731.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुझ पर करो मेहरबानी
मुझ पर करो मेहरबानी
महेश चन्द्र त्रिपाठी
कभी उत्कर्ष कभी अपकर्ष
कभी उत्कर्ष कभी अपकर्ष
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
भारत माँ के वीर सपूत
भारत माँ के वीर सपूत
Kanchan Khanna
बाल कविता: नानी की बिल्ली
बाल कविता: नानी की बिल्ली
Rajesh Kumar Arjun
सृष्टिकार करतार है, राघव हरि अवतार।
सृष्टिकार करतार है, राघव हरि अवतार।
संजय निराला
सफर
सफर
krupa Kadam
कागज ए ज़िंदगी............एक सोच
कागज ए ज़िंदगी............एक सोच
Neeraj Kumar Agarwal
धूल के फूल
धूल के फूल
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
चील, जमीन पर नहीं आती ....
चील, जमीन पर नहीं आती ....
sushil sarna
गुरु
गुरु
विशाल शुक्ल
कैलेंडर नया पुराना / मुसाफ़िर बैठा
कैलेंडर नया पुराना / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
"कुछ तो गुन गुना रही हो"
Lohit Tamta
*संसार में रहो लेकिन संसार के होकर नहीं*
*संसार में रहो लेकिन संसार के होकर नहीं*
Ravi Prakash
आधुनिकता से आशय ,
आधुनिकता से आशय ,
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
जय श्री गणेशा
जय श्री गणेशा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
आज ये न फिर आएगा
आज ये न फिर आएगा
Jyoti Roshni
दोहा
दोहा
manorath maharaj
मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
Loading...