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1 Feb 2024 · 1 min read

धूल के फूल

धूल के फूल

🌿🍃🌱🍃🍃

खिलते फूल वगिया के धूल
बन जाते खानदानी याद

रखना इसे संभाल लाल
सजाया संवारा जिसनें

परंपरागत वंशज संस्कार
माता पिता निज सेवादार

रंग बिरंगे फूल बेल अजूबे
मेल जोल पर्णी औषध पात

स्मृतिभरी जग निराली डाल
यहीं ममतामई रंगीली छांह

आराम सकून दुलार किनार
सम्मान प्रतिष्ठा स्नेह जुड़ाव

गर्व अभिमान संस्कार भरा
बिखेर सुगंध खुशबू मधुर

भ्रमण करते भौरे तितली
चार दिवारी के धूल पूल

संग विविधता में एकता
भारत भारती आम्रपाली

जगत जननी कवच सुरक्षित
देश रोशनदान वगिया पात

स्वच्छ संभाल धूल के फूल
कल के फूल दीपक वाती

नमन करें निज मातृ वगिया
छोड़ गाए पर यहीं सुरक्षित

खुद संभालती प्रकृतिरानी
सत्य यही जग जीवन रेखा

आती जाती जग वगिया
फले पुस्तों के रागों की राग

अड़िग वंश पात राह निहारते
प्रेम प्यार दया भाव विचार

संरक्षक अभेद कवच कठोर
संभालते जगत के प्यारेलाल

जय हो मातृपितृ की वगिया
खिलते प्रसून किशलय लाल

कर्म धर्म गर्विला देश सर्मपित
कुसुम प्रसुन की नाजुक डाल

रखना इसे संभाल एक दिन
काम आऐगा लालों की लाल

जगह जायदाद यहीं रहनीं है
छोड अहमियत चली जानी है

कीमत पहचान वंशागत पाणि
यही जगजीवन एक रोशनदानी

विस्मृत कभी नहीं करनी पुरखों
की याद रख संभाल भू के लाल

🌷🌹🙏🙏🌷🌷🙏🙏🌷

तारकेश्‍वर प्रसाद तरूण

Language: Hindi
158 Views
Books from तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
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