Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2024 · 1 min read

जाते जाते कुछ कह जाते —

पंक्ति आधारित सृजन-
जाते-जाते कुछ कह जाते-
गीत सृजन–

***************************************

विरह वेदना उर में जागी, दिल की पीड़ा तुम सुन पाते।
जाते-जाते कुछ कह जाते,ओढ़ कफन खामोश न जाते।
वादों का सुरमय संगम था, झूठे अब क्यों मुझे रुलाते।
जाते-जाते कुछ कह जाते,ओढ़ कफन खामोश न जाते।

तन में उपजी कैसी व्यथा,सुहाग की कलियाँ मुरझाई
पग पग पर मेरे शूल बिछे, देवता से क्यों मिली विदाई।
सपने मधुर टूटकर बिखरें, सतरंगी संगीत सजाते।
जाते-जाते कुछ कह जाते,ओढ़ कफन खामोश न जाते।

हरियाली से महका आँगन, रुनझुन पायल छन-छन छनकी।
खुशियों से चहका था दामन,रंगी चूड़ियां खन-खन खनकीं।
विमुख हो गये क्यों जीवन से, उलझा जीवन सुलझा पाते।
जाते-जाते कुछ कह जाते,ओढ़ कफन खामोश न जाते।

सागर की लहरों सा जीवन,सुखमय फूलों सा हरषाया।
साँसों की डोरी का नगमा,प्रेमिल साज पर था सजाया।
साथ गुजारे जो पल हमने, वो सौगातें देकर जाते।
जाते-जाते कुछ कह जाते,ओढ़ कफन खामोश न जाते।

आज नभ भी रोया संग में,घन बदरी ने जल बरसाया।
तितली गुमसुम अलि भी गुपचुप,पुष्प चमन ने नहीं खिलाया।
भीगा- भीगा सारा जहान, वीरानी से जोडें नाते।
जाते-जाते कुछ कह जाते,ओढ़ कफन खामोश न जाते।

✍️ सीमा गर्ग मंजरी
मौलिक सृजन
मेरठ कैंट उत्तर प्रदेश।

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 121 Views

You may also like these posts

सितारे  अभी  जगमगाने  लगे।
सितारे अभी जगमगाने लगे।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
नेताओं एवं सरकारों के लिए कानून
नेताओं एवं सरकारों के लिए कानून
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मजदूर की मजबूरियाँ ,
मजदूर की मजबूरियाँ ,
sushil sarna
काम चलता रहता निर्द्वंद्व
काम चलता रहता निर्द्वंद्व
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
धूतानां धूतम अस्मि
धूतानां धूतम अस्मि
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
Keshav kishor Kumar
गीत (विदाई के समय बेटी की मन: स्थिति)
गीत (विदाई के समय बेटी की मन: स्थिति)
indu parashar
वक़्त का सबक़
वक़्त का सबक़
Shekhar Chandra Mitra
जब ये मेहसूस हो, दुख समझने वाला कोई है, दुख का भर  स्वत कम ह
जब ये मेहसूस हो, दुख समझने वाला कोई है, दुख का भर स्वत कम ह
पूर्वार्थ
जिंदगी अवसर देती है ___ लेख
जिंदगी अवसर देती है ___ लेख
Rajesh vyas
3128.*पूर्णिका*
3128.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अतीत की बुरी यादों को छोड़
अतीत की बुरी यादों को छोड़
Bhupendra Rawat
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Deepesh Dwivedi
पुरुष प्रधान समाज को गालियां देते हैं
पुरुष प्रधान समाज को गालियां देते हैं
Sonam Puneet Dubey
संपत्ति।
संपत्ति।
Amber Srivastava
दूरियां
दूरियां
Manisha Bhardwaj
"प्रवास"
Dr. Kishan tandon kranti
Khám phá J7bet và nhận phần thưởng khủng, chiến thắng ngay hôm nay!
Khám phá J7bet và nhận phần thưởng khủng, chiến thắng ngay hôm nay!
j7bet
औरों के संग
औरों के संग
Punam Pande
तुम तो हमसे कमाल की मोहब्बत करते हो।
तुम तो हमसे कमाल की मोहब्बत करते हो।
लक्ष्मी सिंह
हाल-ए-दिल तुमको बताना चाहें।
हाल-ए-दिल तुमको बताना चाहें।
Dr fauzia Naseem shad
अबूजा और शिक्षा
अबूजा और शिक्षा
Shashi Mahajan
बता दिया करो मुझसे मेरी गलतिया!
बता दिया करो मुझसे मेरी गलतिया!
शेखर सिंह
पड़ोसन ने इतरा कर पूछा-
पड़ोसन ने इतरा कर पूछा- "जानते हो, मेरा बैंक कौन है...?"
*प्रणय*
बेवफा सनम
बेवफा सनम
Santosh kumar Miri
*बादल (बाल कविता)*
*बादल (बाल कविता)*
Ravi Prakash
சிந்தனை
சிந்தனை
Shyam Sundar Subramanian
वक़्त आज तेजी से बदल रहा है...
वक़्त आज तेजी से बदल रहा है...
Ajit Kumar "Karn"
दिल तो पत्थर सा है मेरी जां का
दिल तो पत्थर सा है मेरी जां का
Monika Arora
हिन्दी गीति काव्य में तेवरी की सार्थकता। +सुरेश त्रस्त
हिन्दी गीति काव्य में तेवरी की सार्थकता। +सुरेश त्रस्त
कवि रमेशराज
Loading...