राजयोगमहगीता: गुरुप्रणाम! जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट६४)
गुरुप्रणाम :: घनाक्षरी ::६
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आध्यात्मिक साहित्यिक याज्ञिक और सात्विक
कर सकूँ योगदान , ज्ञान हमको दीजिए ।
होता रहूँ अग्रसर पथ पर निरन्तर ,
हो कोई समस्या तो निदान उसका कीजिए ।
कोटि – कोटि आपको यह प्रणाम हैं निवेदित ,
हस्त पर शीष धर आशीष हमें दीजिए ।
कर रहा लमर्पित , सादर सप्रेम पुष्प ,
आप श्रद्धा के प्रतीक , स्वीकार उन्हें कीजिए ।।५!!
—++जितेंद्रकमलआनंद