घर संसार
घर संसार
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मेरे घर की छत,
ऊंची है जरा,
आसमान सारा,
साफ नज़र आती है,
खुली दीवारें हैं,
हवा आर पार,
आती है,जाती है,
लंबा, चौड़ा आंगन,
घास,पुआल का
बिछौना,
जब चाहे सोना,
जो चाहे ओढ़ना,
सब रहते संग संग,
क्या पशु,
क्या पक्षी,
मिल जुल कर,
बसी है ये बस्ती,
छत पर ही है,
जल भंडार,
आंख हुई नम,
छत टपकी
झमाझम मूसलाधार,
पेड़ों की डालियां हैं,
मेरे घर की मुंडेर,
जब चाहता,
चढ़ जाता,
दूर तक जाती नज़र,
पौधे,फूल,कलियां
कोयल,कबूतर, चिड़ियां,
भंवरे, जुगनू, तितलियां,
सब चहकते गाते,
यही है अपना संसार,
आप भी चाहो,
जब तक जी हो रहो
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राजेश’ललित’शर्मा