नित्य ही आनंदके जो दाता ज्ञानके परम:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट ६१)
गुरु प्रणाम :: ( घनाक्षरी )
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नित्य ही आनंदके जो दाता ज्ञानके परम
विश्व से विराट विभु व्यापक समान हैं ।
नित्य ही विमल और अचलउज्ज्वल शुभ्र ,
जो स्वयं के प्रकाश से ही प्रकाशवान हैं ।
नित्य रहकर अचिंतित रहते निर्विकार जो ,
सकल समस्याओं के त्वरित निदान हैं ।
सादर सप्रेम उन्हें प्रणाम हैं निवेदित ,
जो कृपा निधान और सदगुरु महान हैं ।।
——- जितेंद्रकमलआनंद