Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Oct 2016 · 1 min read

शिखरिनी ( हाइकू):: जितेंद्रकमलआनंद: जग असार( पो ७७)

शिखरिनी छंद
——————
जग असार
किंतु परम ब्रह्म ।
हैं सारात्सार ।।४!!

सर्व विज्ञाता
परमब्रह्म ही हैं —
सर्वान्तरात्मा ।।५!!

मानव धर्म
नैतिकता पूर्ण है —
करना कर्म ।।६ ।।

——- जितेंद्र कमल आनंद

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 350 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

झूठे हैं सब कहकहे,
झूठे हैं सब कहकहे,
sushil sarna
जाने कब पहुंचे तरक्की अब हमारे गांव में
जाने कब पहुंचे तरक्की अब हमारे गांव में
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
सितारे न तोड़ पाऊंगा
सितारे न तोड़ पाऊंगा
अरशद रसूल बदायूंनी
जून की कड़ी दुपहरी
जून की कड़ी दुपहरी
Awadhesh Singh
उर्मिल
उर्मिल
Rambali Mishra
रखूंगा अब नहीं कदम तेरी दर पे
रखूंगा अब नहीं कदम तेरी दर पे
gurudeenverma198
तुम क्या जानो
तुम क्या जानो
ललकार भारद्वाज
Black board is fine.
Black board is fine.
Neeraj Kumar Agarwal
*चलो आओ करें बच्चों से, कुछ मुस्कान की बातें (हिंदी गजल)*
*चलो आओ करें बच्चों से, कुछ मुस्कान की बातें (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
बहुत बढ़िया लिखना है अब,
बहुत बढ़िया लिखना है अब,
goutam shaw
बिखरा ख़ज़ाना
बिखरा ख़ज़ाना
Amrita Shukla
समर्पण
समर्पण
Manoj Shrivastava
लोग चाहते हैं कि आप बेहतर करें
लोग चाहते हैं कि आप बेहतर करें
Virendra kumar
दुल्हन ही दहेज है
दुल्हन ही दहेज है
जय लगन कुमार हैप्पी
आजकल रिश्तें और मक्कारी एक ही नाम है।
आजकल रिश्तें और मक्कारी एक ही नाम है।
Priya princess panwar
അന്ന്....
അന്ന്....
Heera S
"सोचिए"
Dr. Kishan tandon kranti
कली
कली
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
वाह वाह....मिल गई
वाह वाह....मिल गई
Suryakant Dwivedi
Infatuation
Infatuation
Vedha Singh
कटलो से ना कटे जीनिगी
कटलो से ना कटे जीनिगी
आकाश महेशपुरी
चेतावनी
चेतावनी
आशा शैली
मेरी जिंदगी भी तुम हो,मेरी बंदगी भी तुम हो
मेरी जिंदगी भी तुम हो,मेरी बंदगी भी तुम हो
कृष्णकांत गुर्जर
अबके रंग लगाना है
अबके रंग लगाना है
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*
*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*
शेखर सिंह
प
*प्रणय प्रभात*
तुझे लोग नहीं जीने देंगे,
तुझे लोग नहीं जीने देंगे,
Manju sagar
औरत  के  फ़ितरत में अजीब तकाजा पाया जाता है ,
औरत के फ़ितरत में अजीब तकाजा पाया जाता है ,
पूर्वार्थ
सदा मिलन की आस में, तड़प रही है श्वास।
सदा मिलन की आस में, तड़प रही है श्वास।
संजय निराला
बलदेव छठ
बलदेव छठ
Mahesh Jain 'Jyoti'
Loading...