समझा है कभी नारी नज़ाकत को क्या– जितेन्द्र कमल आनंद ( ५३)
रुबाई :::
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समझा है कभी नारी नज़ाकत को क्या ।
समझा है कभी फौज़ी शहादत को क्या ।
ये सृजन , वो सुरक्षा ही किया करते हैं ।
समझा है इस अनमोल जरूरत को क्या ।।५३!!
—— जितेन्द्र कमल आनंद
रुबाई :::
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समझा है कभी नारी नज़ाकत को क्या ।
समझा है कभी फौज़ी शहादत को क्या ।
ये सृजन , वो सुरक्षा ही किया करते हैं ।
समझा है इस अनमोल जरूरत को क्या ।।५३!!
—— जितेन्द्र कमल आनंद