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Tag: ग़ज़ल/गीतिका
127 posts
मां -सही भूख तृष्णा खिलाया सदा
मां -सही भूख तृष्णा खिलाया सदा
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
योग
योग
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
इश्क तो कर लिया कर न पाया अटल
इश्क तो कर लिया कर न पाया अटल
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
जीवन तो बहती दरिया है-काल चक्र का सर्प सदा ही हमको है डसता
जीवन तो बहती दरिया है-काल चक्र का सर्प सदा ही हमको है डसता
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
तुम्हारे ओंठ हिलते हैं
तुम्हारे ओंठ हिलते हैं
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
फूल से खुश्बू महकना चाहिए
फूल से खुश्बू महकना चाहिए
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
खूब रोया अटल हिज्र में रात भर
खूब रोया अटल हिज्र में रात भर
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
फूल खुश्बू के हों वो चमन चाहिए
फूल खुश्बू के हों वो चमन चाहिए
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
जिंदगी ढल गई डोलते रह गये
जिंदगी ढल गई डोलते रह गये
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
मनाओ मातु अंबे को
मनाओ मातु अंबे को
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
सारे दूर विषाद करें
सारे दूर विषाद करें
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
सदाचार है नहिं फलदायक
सदाचार है नहिं फलदायक
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
आदमी की जिंदगी
आदमी की जिंदगी
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
जिंदगी तो अब उसे ये पुष्प बेला सी लगी
जिंदगी तो अब उसे ये पुष्प बेला सी लगी
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
मुझको अच्छी लगी जिंदगी
मुझको अच्छी लगी जिंदगी
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
जिंदगी फूल है और कुछ भी नहीं
जिंदगी फूल है और कुछ भी नहीं
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
कत्ल श्रृद्धा का हुआ तो मर गया संसार भी
कत्ल श्रृद्धा का हुआ तो मर गया संसार भी
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
लगता दीवाली आई
लगता दीवाली आई
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
रावण तो हर साल जला पर, क्या रावण मर पाया है ।
रावण तो हर साल जला पर, क्या रावण मर पाया है ।
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
हमारा मान है हिंदी
हमारा मान है हिंदी
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
जिंदगी में जो मिला सब खास
जिंदगी में जो मिला सब खास
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
तीन रंग का ये तिरंगा
तीन रंग का ये तिरंगा
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
भव सागर से पार, मुझे माता करना
भव सागर से पार, मुझे माता करना
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
आस्मां में उड़े तिरंगा है
आस्मां में उड़े तिरंगा है
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
छल दंभ द्वेष
छल दंभ द्वेष
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
गीत गजलों की महफ़िल सजा दीजिए
गीत गजलों की महफ़िल सजा दीजिए
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
पद्धरि छंद
पद्धरि छंद
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
कौन बड़ा चमचा है
कौन बड़ा चमचा है
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
आग लगाकर हाथ सेंकते,उन लोगों से दूर रहो
आग लगाकर हाथ सेंकते,उन लोगों से दूर रहो
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
देश भरा है जयचंदो से
देश भरा है जयचंदो से
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
सगे जो हैं सगों ने ही सताया है
सगे जो हैं सगों ने ही सताया है
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
उलझता ही रहा हूं मैं
उलझता ही रहा हूं मैं
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
आग जो लग रही है बुझाओ इसे
आग जो लग रही है बुझाओ इसे
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
बेवजह ही कट रही है आदमी की जिंदगी
बेवजह ही कट रही है आदमी की जिंदगी
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
यूक्रेन व रूस के बीच हो रहे विध्वंशकारी युद्ध के संदर्भ में
यूक्रेन व रूस के बीच हो रहे विध्वंशकारी युद्ध के संदर्भ में
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
दुनिया एक बसेरा है
दुनिया एक बसेरा है "हाकलि छंद"१४मात्रिक,अंत में गुरु
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
वसंत की छटा
वसंत की छटा
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
होली का हुड़दंग
होली का हुड़दंग
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
तितलियों ने बाग में डाला बसेरा आज है।
तितलियों ने बाग में डाला बसेरा आज है।
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
जिंदगी प्यार का एक अहसास है
जिंदगी प्यार का एक अहसास है
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
दिल मिलें ना मिलें
दिल मिलें ना मिलें
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
मन में इक आशा जगी
मन में इक आशा जगी
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
सुन लो
सुन लो
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
चल रहा है आज देखो खून का ये सिलसिला
चल रहा है आज देखो खून का ये सिलसिला
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
दंभ द्वेष भूलकर समान मान दीजिए
दंभ द्वेष भूलकर समान मान दीजिए
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
दुश्मनी की कर्क रेखा इक खिंची है
दुश्मनी की कर्क रेखा इक खिंची है
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
मिला मौका ये'किस्मत से हमें अब प्यार करने दो।
मिला मौका ये'किस्मत से हमें अब प्यार करने दो।
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
गीत गजल या गीतिका लिखिए मन भरपूर
गीत गजल या गीतिका लिखिए मन भरपूर
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
नाच रहे हैं कान्हा- दाऊ
नाच रहे हैं कान्हा- दाऊ
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
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