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28 Oct 2021 · 1 min read

दुश्मनी की कर्क रेखा इक खिंची है

२१२२ २१२२ २१२२
प्रेम के
दुश्मनी की कर्क रेखा इक खिंची है
बस महज दुर्भावना दुर्भावना है।

शांति का हो सतत ही संचार जग में,
अब न कोई दीखती संभावना है।

शाख पर बैठा है उल्लू वृक्ष की हर,
और मन में पूर्ण काली भावना है।

है कपटता दीखती हर ओर जग में,
लुप्त होती प्यार की सद्भावना है।

दूर कैसे हो कलुषता सोचता ये
बस अटल की एक ये ही कामना है।

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